देश की खबरें | हरियाणा विधानसभा चुनाव: बेरोजगारी, एमएसपी की मांग प्रमुख मुद्दे

चंडीगढ़, 25 सितंबर बेरोजगारी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी संबंधी किसानों की मांग, अग्निपथ योजना और कानून-व्यवस्था हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुछ प्रमुख मुद्दे हैं।

हरियाणा में इस बार बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता-विरोधी लहर और विपक्षी कांग्रेस से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

इस मुकाबले में चुनाव मैदान में उतरे अन्य दलों में आम आदमी पार्टी (आप), जननायक जनता पार्टी (जजपा), आजाद समाज पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) शामिल हैं।

‘आप’ अपने बलबूते चुनाव लड़ रही है, जबकि जजपा, आजाद समाज पार्टी के साथ और इनेलो, बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है।

कांग्रेस ने हरियाणा में भाजपा के 10 साल के शासन को लेकर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि राज्य में बेरोजगारी दर देश में ‘‘सबसे अधिक’’ है।

चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि भाजपा सरकार विभिन्न विभागों में दो लाख रिक्त पदों को भरने में विफल रही है।

उन्होंने हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से अनुबंध पर लोगों को नियुक्त करने के लिए भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दावा किया कि कांग्रेस की पिछली सरकार के दौरान हरियाणा प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश, नौकरियां देने, कानून व्यवस्था और खेल गतिविधियों में देश में नंबर वन था।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘दस साल बाद आज हरियाणा बेरोजगारी और महंगाई में नंबर वन है, जबकि अपराध भी बढ़ा है।’’

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने कहा, ‘‘हरियाणा को बेरोजगारी में नंबर वन बनाने वाली भाजपा ने दो लाख सरकारी नौकरियां देने की बात करके अपने घोषणा-पत्र में खुद स्वीकार किया है कि सरकारी विभागों में कितने पद रिक्त पड़े हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गृहणियों को 1,100-1,200 रुपये में सिलेंडर बेचने वाली भाजपा अब आगामी चुनाव में अपनी हार देखकर कांग्रेस की नकल कर रही है और 500 रुपये में सिलेंडर देने का वादा कर रही है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा कभी भी दलितों और पिछड़ों को अधिकार और भागीदारी देने के पक्ष में नहीं हो सकती।

बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्षी दलों की आलोचना का सामना कर रही भाजपा ने वादा किया है कि युवाओं को बिना ‘खर्ची-पर्ची’ (भ्रष्टाचार और पक्षपात) के दो लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी।

भाजपा ने दलित मुद्दे को लेकर भी कांग्रेस पर निशाना साधा है।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि कांग्रेस एक ‘‘दलित विरोधी’’ पार्टी है और हरियाणा के दलितों को यह याद दिलाने की कोई जरूरत नहीं है कि हुड्डा का शासन उनके लिए कितना ‘‘खतरनाक’’ और ‘‘हिंसक’’ था।

सैनी ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने बी.आर. आंबेडकर से लेकर दलित महिला नेता तक सभी को अपमानित और तिरस्कृत किया है। उनका स्पष्ट इशारा कुमारी सैलजा की ओर था, जो कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान से दूरी बनाए हुए थीं।

चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री और भाजपा के कुछ अन्य नेताओं ने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा।

गांधी ने अमेरिका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों से संवाद के दौरान हाल में कहा था कि कांग्रेस तभी आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेगी, जब देश में सभी को समान अवसर मिलने लगेंगे और फिलहाल ‘‘भारत में ऐसी स्थिति नहीं है’’।

कुरुक्षेत्र-कैथल राजमार्ग पर चाय की एक छोटी सी दुकान चलाने वाले 60-वर्षीय रकमा ने कहा कि राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के तहत लोगों को योग्यता के आधार पर नौकरियां मिली हैं।

कुरुक्षेत्र जिले के पेहोवा के थाना गांव के रहने वाले रकमा ने कहा, ‘‘बेरोजगारी एक मुद्दा है, लेकिन हमें इस बात की सराहना करनी होगी कि जिन लोगों को नौकरियां मिली हैं, वे पूरी तरह से उनकी योग्यता के आधार पर मिली हैं।’’

कैथल के स्थानीय निवासी सुनील कुमार ने कहा कि हरियाणा चुनाव में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा बेटा स्नातक है और एक साल से नौकरी की तलाश कर रहा है, लेकिन अभी तक उसे नौकरी नहीं मिली है। मैं जानता हूं कि आजकल बहुत से युवा बेहतर अवसरों के लिए विदेश जाना चाहते हैं। यदि यहां बेहतर अवसर उपलब्ध होते हैं, तो वे अपने परिवार से दूर क्यों जाना चाहेंगे।’’

पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए जारी किसानों का प्रदर्शन राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी सुर्खियों में है।

हुड्डा ने इस सप्ताह कहा था कि यदि उनकी पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्ता में आती है तो वह किसानों के लिए शंभू बॉर्डर खोल देगी।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान सरकार पर अपनी विभिन्न मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के वास्ते ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमाओं पर तब से डटे हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने उनके मार्च को रोक दिया था।

कांग्रेस ने पहले ही वादा किया है कि यदि वह सत्ता में आई तो एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी दी जाएगी, जबकि भाजपा ने 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने का वादा किया है।

हरियाणा में भाजपा सरकार पहले से ही 14 फसलों को एमएसपी पर खरीद रही है। पिछले महीने मुख्यमंत्री सैनी की घोषणा के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने 10 और फसलों को एमएसपी पर खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।

सैन्य भर्ती के लिए केंद्र की अग्निपथ योजना की भी कांग्रेस द्वारा आलोचना की जा रही है, हालांकि भाजपा ने आश्वासन दिया है कि हरियाणा से आने वाले प्रत्येक अग्निवीर को सरकारी नौकरी की गारंटी दी जाएगी।

विपक्षी दलों ने कथित रूप से बिगड़ती कानून-व्यवस्था और मादक पदार्थों के खतरे का मुद्दा भी उठाया है।

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