अहमदाबाद, 31 दिसंबर अहमदाबाद की एक विशेष सीबीआई अदालत ने फर्जी बीमा दावों से संबंधित 22 साल पुराने मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के एक उपक्रम के पूर्व कर्मचारी सहित पांच लोगों को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और उन पर 23.5 लाख रुपये का सामूहिक जुर्माना लगाया है।
अदालत ने सोमवार को पांचों आरोपियों - दिनेश पटेल, संजय चित्रे, मनन पटेल, शिशुपाल राजपूत और पूर्व पुलिसकर्मी अमर सिंह बियालभाई को दोषी करार दिया और उन्हें जेल की सजा सुनाई।
एक अन्य आरोपी एस ए परमार के खिलाफ आरोप खत्म कर दिए गए क्योंकि जब सुनवाई लंबित थी तो उसी दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नवसारी (गुजरात) में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एनआईएसीएल) के तत्कालीन वरिष्ठ मंडल प्रबंधक और अन्य के खिलाफ जाली दस्तावेजों के आधार पर बीमा दावों को मंजूरी देने से संबंधित मामला दर्ज किया था, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की फर्म को 4.89 लाख रुपये का नुकसान हुआ था।
एजेंसी ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि लोक सेवकों ने आपराधिक साजिश रची और निजी व्यक्तियों के साथ मिलीभगत कर जाली दस्तावेजों के आधार पर बीमा दावों को मंजूरी दी, जिससे न्यू इंडिया एश्योरेंस को नुकसान हुआ।
एजेंसी के अनुसार, आरोपी मनन और दिनेश पटेल ने अपनी सामान्य पॉलिसियों के खिलाफ बीमा दावे जमा करने के लिए फर्जी कागजात की व्यवस्था की, जबकि एनआईएसीएल के तत्कालीन कर्मचारी चित्रे ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दावे का आकलन किया और एक ‘दुर्घटना’ को वास्तविक दिखाने वाली तस्वीरों की व्यवस्था की।
पंचमहल जिले के गोधरा तालुका पुलिस थाने के अंतर्गत मेहलोल चौकी के तत्कालीन एएसआई/प्रभारी आरोपी बियालभाई ने फर्जी प्राथमिकी दर्ज की और यह साबित करने के लिए फर्जी 'पंचनामा' तैयार किया कि नुकसान वास्तव में हुआ था।
सीबीआई के अनुसार, वसूली एजेंट सह-आरोपी राजपूत ने बैंक के माध्यम से वसूली राशि की व्यवस्था की ताकि पूरा लेनदेन वास्तविक लगे।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने 24 जून, 2005 को आरोप पत्र दायर किया था।
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