अहमदाबाद, 23 दिसंबर विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली सरकार की विदाई और भाजपा नेतृत्व द्वारा पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली एक नई टीम को सत्ता सौंपना, इस वर्ष गुजरात में राजनीतिक हलचल की प्रमुख घटनाएं रहीं।
रूपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का कारण राजनीतिक विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में स्थिति को संभालने में उनकी विफलता को बताया।
राज्य विधानसभा चुनाव से एक साल पहले तटीय राज्य में नेतृत्व में बदलाव किया गया। सितंबर में गुजरात के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले पटेल (59) मृदुभाषी व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत नगर पालिका से की थी।
फेरबदल की उस कवायद में नितिन पटेल, भूपेंद्रसिंह चुड़ासमा, कौशिक पटेल और प्रदीपसिंह जडेजा जैसे राज्य के वरिष्ठ पार्टी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी थे।
स्वास्थ्य देखभाल का बुनियादी ढांचा विपक्ष के इस दावे के बीच दबाव में था कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान राज्य सरकार ने कोविड-19 से हुई मौतों का आंकड़ा कम बताया, क्योंकि अस्पताल में बिस्तर और ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण घर पर ही कई लोगों की मौत हो गई।
सरकार के विरोधियों ने दावा किया कि लोगों को अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान घाट पर घंटों इंतजार करना पड़ा।
कोरोना वायरस से संबंधित मौतों की कम जानकारी के आरोप भी साल के अंत में सामने आए जब राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में स्वीकार किया कि उसने आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई कोविड मौतों की संख्या से लगभग दोगुना मामलों में 50,000 रुपये का मुआवजा दिया।
महात्मा गांधी द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम के पुनर्विकास, विवाह के बाद जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कड़े कानून और सड़कों पर खाद्य सामग्री बेचने वाली गाड़ियों से मांसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों ने नेताओं और सक्रिय कार्यकर्ताओं को वर्ष के दौरान व्यस्त रखा।
कोविड-19 के अलावा, गुजरात तट से टकराने वाले भयंकर चक्रवातों में से एक, चक्रवात ताउते ने मई में 79 लोगों की जान ले ली।
सत्तारूढ़ भाजपा ने वर्ष के दौरान निकाय चुनावों के साथ-साथ विधानसभा उपचुनावों में भी जीत हासिल की। इसने फरवरी में गुजरात के छह नगर निगमों- अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, जामनगर और भावनगर में भारी बहुमत से चुनाव जीता था। फरवरी के चुनावों में पार्टी ने सभी 31 जिला पंचायतों, 231 तालुका पंचायतों में से 196 और 81 नगर पालिकाओं में से 74 में स्पष्ट बहुमत हासिल किया।
आम आदमी पार्टी (आप) ने गुजरात में पैठ बनाई और 120 सदस्यीय सूरत नगर निगम में 27 सीटों पर जीत हासिल की। प्रदर्शन से उत्साहित पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि उनकी पार्टी अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में सभी 182 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
ओबीसी नेता जगदीश ठाकोर को अमित चावड़ा की जगह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया, जबकि आदिवासी नेता सुखराम राथवा ने विपक्ष के नेता के रूप में परेश धनानी की जगह ली।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)