नयी दिल्ली, 26 मार्च चीनी क्षेत्र के लिए सरकार की नीतियों ने पिछले कुछ वर्षों में घरेलू बाजारों में चीनी की खुदरा कीमतों में स्थिरता और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही।
अधिकारी ने कहा कि सरकार की नीति सुसंगत बनी हुई है, देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए नीतियों को गतिशील और लचीला होना चाहिए क्योंकि गन्ने की फसल कृषि-जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘यह ध्यान रखना उचित है कि भारत में चीनी की कीमतें स्थिर रही हैं, जबकि चीनी की वैश्विक कीमतों में अभूतपूर्व अस्थिरता देखी गई, जो वर्ष 2023 में 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।’’
दूसरी ओर, 2022-23 सत्र और इससे पहले के सत्र के लिए किसानों का 99.9 प्रतिशत गन्ना बकाया पहले ही चुकाया जा चुका है। अधिकारी ने कहा, चालू 2023-24 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) का लगभग 84 प्रतिशत गन्ना बकाया पहले ही चुकाया जा चुका है, किसानों का गन्ना बकाया ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर है।
अधिकारी ने कहा कि भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और सरकार की पहली प्राथमिकता उपभोक्ताओं के लिए उचित मूल्य पर पर्याप्त चीनी की उपलब्धता सुनिश्चित करना है और सत्र के अंत में पर्याप्त अंतिम स्टॉक भी रखना है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘फिर, चीनी को एथनॉल के लिए भेज दिया जाता है और केवल अधिशेष चीनी के निर्यात की अनुमति दी जाती है।’’ उन्होंने कहा कि निर्यात जून, 2022 से प्रतिबंधित है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘यह वह सरकार है जिसने भारतीय किसानों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार नीतियां सुनिश्चित की हैं।’’
इसके अलावा, अधिकारी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार का पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम काफी सफल रहा है और इसने चीनी क्षेत्र को संकट से बाहर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
देश में चीनी/शीरे से एथनॉल उत्पादन क्षमता 900 करोड़ लीटर से अधिक हो गई है, जो 10 साल पहले की क्षमता से चार गुना अधिक है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘10 साल पहले 12 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण की उपलब्धि अकल्पनीय थी, केवल 1.5 प्रतिशत मिश्रण के साथ भारत एथनॉल उत्पादन और पेट्रोल में मिश्रण में शीर्ष देशों में शामिल हो गया। भारत वर्ष 2025 में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण हासिल करने के लिए तैयार है।’’
अधिकारी ने कहा कि भारत सरकार राष्ट्रीय हित में गन्ना किसानों, उपभोक्ताओं और उद्योग के हितों को संतुलित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हाल ही में, भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने गन्ने के रस/बी-हेवी शीरे के माध्यम से एथनॉल विनिर्माण के लिए 17 लाख टन के ‘डायवर्जन’ के बाद विपणन वर्ष 2023-24 के लिए लगभग 323 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है।
विपणन वर्ष 2022-23 के दौरान गन्ना रस और बी-भारी शीरे से एथनॉल बनाने के लिए 38 लाख टन चीनी के उपयोग के साथ शुद्ध चीनी उत्पादन 328.2 लाख टन रहा।
इस महीने की शुरुआत में, इस्मा ने सितंबर में समाप्त होने वाले विपणन वर्ष में चीनी के सकल उत्पादन के अपने अनुमान को 9.5 लाख टन बढ़ाकर 340 लाख टन कर दिया।
पिछले वर्ष कुल चीनी उत्पादन 366.2 लाख टन था।
पिछले महीने, केंद्र सरकार ने अक्टूबर, 2024 से शुरू होने वाले 2024-25 सत्र के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) (गन्ना उत्पादकों को मिलों द्वारा दी जाने वाली न्यूनतम कीमत) को 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया था।
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