श्रीनगर, 28 जून पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार का प्रयास ‘संवैधानिक अधिकारों को कुचलने और कानून के शासन को खत्म करने’ की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
उनके इस बयान से पहले जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक आर आर स्वैन ने रविवार को कहा था कि विदेशी आतंकवादियों की मदद करते हुए पाये जाने वाले स्थानीय लोगों से शत्रु एजेंट अध्यादेश के तहत निपटा जाएगा जो अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम से भी अधिक कठोर है।
पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकीं मुफ्ती ने ‘एक्स’ पर लिखा,‘‘ आतंकवादियों की सहायता करने के संदेह मात्र पर अपने ही नागरिकों के खिलाफ महाराजा काल के दमनकारी शत्रु अध्यादेश कानून को लागू करने का जम्मू कश्मीर पुलिस का हाल का फैसला न केवल अत्यंत चिंताजनक है बल्कि यह इंसाफ का गला घोंटना वाला भी है।’’
उन्होंने कहा कि ये दमनकारी कानून ‘‘मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं तथा उसके तहत जिन सजाओं का प्रावधान है, वे संविधान में उल्लिखित इंसाफ के सिद्धांत एवं मूल्यों से बिल्कुल मेल नहीं खाते हैं।’’
उन्होंने कहा,‘‘सुरक्षा संबंधी चिंताओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार का प्रयास संवैधानिक अधिकारों को कुचलने और कानून के शासन को खत्म करने की कीमत पर नहीं होना चाहिए।’’
महबूबा की बेटी और उनकी मीडिया सलाहकार इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि ये कृत्य बताते हैं कि भाजपा की कश्मीर नीति में नाममात्र बदलाव होगा।
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘ मियां कयूम को गिरफ्तार करने, जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव पर रोक लगाने के जम्मू कश्मीर प्रशासन के हाल के फैसले और महाराजा काल के दमनकारी कानून को जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा लागू करना आपको क्या बतलाते हैं? यही न कि क्रूर बहुमत गंवाने के बाद भी कश्मीर के प्रति भाजपा की नीति में नाममात्र बदलाव होगा।’’
वह बाबर कादरी नामक अपने एक साथी वकील की हत्या की साजिश में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मियां कयूम की गिरफ्तारी का हवाला दे रही थीं।
कयूम को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। उसी दिन प्रशासन ने इस आधार पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव पर भी रोक लगा दी कि यह सक्षम प्राधकार से पंजीकृत नहीं है और शांति भंग होने की आशंका है।
इल्तिजा मुफ्ती ने कहा , ‘‘ ये अचानक की गई दमनकारी कार्रवाई, जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने के दिल्ली (केंद्र) के फैसले और उसकी छद्म पार्टियों को पूरी तरह खारिज करने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए कश्मीरियों को दंडित करना है।’’
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