सरकार का एजेंडा पर्यावरण और वन कानूनों को कमजोर करने का: कांग्रेस
कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का एजेंडा पर्यावरण और वन संबंधी कानूनों को कमजोर करने का है क्योंकि वह इन कानूनों को सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में नहीं देखती है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरा होने के मौके पर यह दावा भी किया कि मोदी सरकार पर्यावरण, जल और वन संबंधी उपलब्धियों को खत्म कर रही है.
नयी दिल्ली, 1 अप्रैल : कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का एजेंडा पर्यावरण और वन संबंधी कानूनों को कमजोर करने का है क्योंकि वह इन कानूनों को सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में नहीं देखती है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरा होने के मौके पर यह दावा भी किया कि मोदी सरकार पर्यावरण, जल और वन संबंधी उपलब्धियों को खत्म कर रही है. ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ वर्ष 1973 में शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है. इस परियोजना का मकसद देश के राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों को आश्रय प्रदान करना है. कांग्रेस महासचिव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ आज हम 'प्रोजेक्ट टाइगर' की 50वीं सालगिरह मना रहे हैं. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने की थी.
इस योजना का मुख्य उद्देश्य केवल चीतों का संरक्षण ही नहीं था, बल्कि जंगल को भी सुरक्षित रखना था.’’ रमेश के मुताबिक, ‘‘इंदिरा गांधी जो कहती थीं वो करती थीं. वह ‘कैमराजीवी’ नहीं थीं. उन्होंने पर्यावरण, जल और वन संरक्षण के लिए जो कदम उठाए तथा उनके समय जो कानून बनाए गए वो मील का पत्थर साबित हुए.’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘कुछ महीने पहले वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में संशोधन लाया गया. हमने उसका विरोध किया क्योंकि उस संशोधन से हाथियों के व्यापार का रास्ता खुलेगा...कुछ दिन पहले वन संरक्षण संशोधन विधेयक को संयुक्त समिति को भेजा गया, उसे स्थायी समिति को नहीं भेजा गया है क्योंकि मैं इस समिति (पर्यावरण संबंधी) का अध्यक्ष हूं.’’ यह भी पढ़ें : Maharashtra: गांधी विश्वविद्यालय में दलित छात्रों पर आधी रात को हमला, पांच घायल
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘50 साल में वन और वन्यजीवों को बचाने के लिए जो उपलब्धियां हासिल हुई थीं वो सब आज खतरे में है. कानूनों को कमजोर किया जा रहा है पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बिगाड़ा जा रहा है.’’ कांग्रेस नेता ने यह आरोप भी लगाया, ‘‘इनका (सरकार) एजेंडा यह है कि पर्यावरण और वन कानूनों को कमजोर किया जाए क्योंकि सरकार और नीति आयोग का यह नजरिया है कि ये कानून विनियामक बोझ हैं. वे इन कानूनों को सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में नहीं देखते.’’