देश की खबरें | गरीबों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार एक साथ छह मोर्चों पर काम कर रही: प्रधानमंत्री

मोहाली, 24 अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि गरीब से गरीब व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार एक साथ छह मोर्चों पर काम कर रही है और रिकॉर्ड निवेश कर रही है।

यहां ‘‘होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र’’ का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में जितना काम पिछले आठ साल में हुआ है उतना पिछले 70 वर्षों में भी नहीं हुआ है।

उन्होंने प्रीवेंटिव हेल्थ केयर यानी बीमारी से बचाव को बढ़ावा दिए जाने को पहला और गांवों में छोटे और आधुनिक अस्पताल खोले जाने को दूसरा मोर्चा बताया।

इस कड़ी में उन्होंने शहरों में मेडिकल कॉलेज और शोध वाले बड़े संस्थान खोलना, देश भर में चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मियों की संख्या बढ़ाना, मरीजों को सस्ती दवाइयां व सस्ते उपकरण उपलब्ध कराने और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके मरीजों को होने वाली मुश्किलें कम करने को अन्य चार मोर्चे बताया, जिन पर सरकार काम कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस पर केंद्र सरकार रिकॉर्ड निवेश कर रही है... हजारों करोड़ रुपए खर्च कर कर रही है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं का मतलब सिर्फ चार दीवारें बनाना नहीं होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी देश का स्वास्थ्य सिस्टम तभी मजबूत होता है, जब वो हर तरह से समाधान दे, कदम-कदम पर मरीजों का साथ दे और इसलिए पिछले आठ वर्षों में देश में संपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रखा गया है।’’

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस अस्पताल का 660 करोड़ रुपये की लागत से टाटा मेमोरियल सेंटर ने निर्माण किया है, जो भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत सहायता-प्राप्त संस्थान है।

यह कैंसर अस्पताल तृतीयक स्तर का अस्पताल है, जिसकी 300 बिस्तरों की क्षमता है। अस्पताल कैंसर के सभी प्रकारों के उपचार के लिये हर आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।

यहां सर्जरी, रेडियोथेरेपी और मेडिकल ऑन्कोलॉजी– कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा उपलब्ध होगी।

यह अस्पताल पूरे क्षेत्र में कैंसर सुविधा और उपचार के लिये “केंद्र” के रूप में और संगरूर में 100 बिस्तरों वाला अस्पताल इसकी “शाखा” के रूप में कार्य करेगा।

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