नयी दिल्ली, 17 जुलाई भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक एम राजेश्वर राव ने शु्क्रवार को कहा कि भविष्य की आर्थिक नीतियां कोविड-19 के इस दौर में अर्थव्यवस्था को समर्थन देने वाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इस महामारी का प्रभाव क्या रहता है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की ओर से पहली प्रतिक्रिया यह सुनिश्चित करना होगा कि बाजारों का कामकाज जारी रहे और वित्तीय क्षेत्र की ऋण शोधन क्षमता बनी रहे।
राव ने उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक ने कई उपायों मसलन नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती, विशेष वित्त सुविधा, दीर्घावधि रेपो परिचालन (एलटीआरओ) और लक्षित दीर्घावधि रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न उपायों के जरिये रिजर्व बैंक ने महामारी के दौरान बैंकिंग प्रणाली में 6.5 लाख करोड़ रुपये की तरलता डाली है।
उन्होंने कहा, ‘‘आगे चलकर हमें यह देखना होगा कि विभिन्न क्षेत्रों की कारोबारी गतिविधियों पर इसका क्या असर हुआ। इस मुद्दे को निपटाने के बाद इसी के अनुरूप नीतियां बनानी होंगी। हमें जो स्थिति बन रही है उसे देखना होगा और उसी के अनुकूल नीतियों को संशोधित करना होगा।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश-दुनिया हमेशा इस महामारी की गिरफ्त में नहीं रहेंगी। निकट भविष्य में यह महामारी संयुक्त इलाज, टीके और बेहतर प्रतिरोधक क्षमता से समाप्त होगी। महामारी का प्रभाव क्या रहता है भविष्य की नीतियां उसी के इर्द-गिर्द बनाई जानी चाहिए।
राव ने कहा कि एक बार स्वास्थ्य मुद्दे के समाधान की तात्कालिक प्राथमिकता पूरी होने के बाद दूसरा कदम मौजूदा कंपनियों का टिकना सुनिश्चित करने का होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें इस दिशा में चरण-दर-चरण चलना होगा। इस समय पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य और लोगों की सुरक्षा है। एक बार इस मोर्चे पर संतोषजनक स्थिति में पहुंचने के बाद हमें दूसरा कदम उठाना होगा।
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