नयी दिल्ली, 29 दिसंबर अतिरिक्त वैश्विक नकदी और अन्य कारकों के चलते भारतीय बाजार में 2021 के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) 51,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा। विदेशी निवेशक लगातार तीसरे साल घरेलू शेयर बाजार में शुद्ध खरीदार बने रहे, और ये सिलसिला आगे भी बने रहने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली अभी भी नकदी से भरी हुई है, और ऐसे में उभरते बाजार आगामी कई महीनों तक पसंदीदा निवेश गंतव्य बने रह सकते हैं।
वर्ष 2021 के दौरान अर्थव्यवस्था धीमे-धीमे पटरी पर आती दिखी और इससे जगी उम्मीद के कारण एफपीआई शुद्ध खरीदार बन गए। हालांकि, इस साल उनका निवेश, 2020 के 1.03 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बहुत कम है। गौरतलब है कि एफपीआई ने 2019 में 1.35 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
एफपीआई ने इस साल पहले तीन महीनों - जनवरी, फरवरी, मार्च - में शुद्ध निवेश किया। इसी तरह जून, अगस्त और सितंबर में भी वे शुद्ध निवेशक रहे। शेष छह महीनों में एफपीआई द्वारा शुद्ध बिकवाली देखने को मिली।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी निवेशकों ने शेयरों में 26,001 करोड़ रुपये, ऋण या बांड बाजार में 23,222 करोड़ रुपये और हाइब्रिड माध्यमों में 1,848 करोड़ रुपये का निवेश किया।
इस साल अपेक्षाकृत कम एफपीआई प्रवाह के बारे में जूलियस बेयर के कार्यकारी निदेशक मिलिंद मुछला ने कहा कि डॉलर सूचकांक के मजबूत होने और मुनाफावसूली के कारण ऐसा हुआ।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक - प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई प्रवाह केंद्रीय बैंकों द्वारा घोषित प्रोत्साहन उपायों और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अतिरिक्त नकदी से प्रेरित था।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई अक्टूबर, 2021 से भारत को लेकर नकारात्मक हो गए और कई विदेशी ब्रोकरेज ने भारत को ‘ओवरवेट’ से ‘न्यूट्रल’ में नीचे किया।
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