संयुक्त राष्ट्र, 11 अप्रैल अमेरिका और चीन की ओर स्पष्ट रूप से इशारा करते हुए जर्मनी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में “प्रमुख शक्तिशाली राष्ट्रों” को आपसी मतभेद भुला देना चाहिए जिनके कारण अभी तक कोविड-19 महामारी पर किसी प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
जर्मनी के नेतृत्व में सुरक्षा परिषद के दस में नौ अस्थायी सदस्यों ने गत सप्ताह कोरोना वायरस संकट के मुद्दे पर एक बैठक बुलाने का अनुरोध किया था।
महामारी के मुद्दे पर परिषद की पहली बैठक नौ अप्रैल को हुई थी।
जर्मनी के विदेश मंत्री हैको मास ने शुक्रवार को एक वक्तव्य में कहा कि कोविड-19 पर परिषद की बैठक “एक महत्वपूर्ण और प्रोत्साहित करने वाला कदम है। हम इस संकट से तभी उबर सकते हैं जब साथ मिलकर एकजुटता के साथ काम करें। यह करने के लिए हमें शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र और एक शक्तिशाली सुरक्षा परिषद चाहिए।”
अभी तक वाशिंगटन और बीजिंग में चल रही खींचतान के कारण परिषद में कोरोना वायरस की स्थिति पर चर्चा नहीं हो सकी थी।
परिषद में वीटो करने का अधिकार प्राप्त दो स्थायी सदस्य जब संक्रमण की उत्पत्ति को लेकर बहस कर रहे हैं और ऐसे में परिषद द्वारा कोई प्रस्ताव कैसे पारित किया जा सकता है।
अमेरिका और चीन की ओर स्पष्ट रूप से इशारा करते हुए मास ने कहा, “सुरक्षा परिषद के प्रमुख शक्तिशाली सदस्य राष्ट्रों को उन मतभेदों को दरकिनार कर देना चाहिए जिनके कारण अभी तक कोई प्रस्ताव स्वीकृत नहीं किया जा सका है।”
उन्होंने कहा कि महामारी के वैश्विक संकट से निपटने के लिए सुरक्षा परिषद को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)