श्रीनगर, 30 जनवरी जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों ने बड़ी कामयाबी के तहत पुलवामा और बडगाम जिलों में देर रात हुई दो अलग-अलग मुठभेड़ों में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के एक शीर्ष स्वयंभू कमांडर समेत पांच आतंकवादियों को ढेर कर दिया। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
जेईएम कमांडर जाहिद वानी 2017 से सक्रिय था तथा वह कई हत्याओं और युवाओं को आतंकवादी संगठन में भर्ती करने में शामिल था।
पुलवामा में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) कश्मीर, विजय कुमार और सेना के विक्टर फोर्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी) मेजर जनरल प्रशांत श्रीवास्तव ने कहा कि आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में सूचना मिलने के बाद मुठभेड़ शनिवार को कश्मीर घाटी के पुलवामा और बडगाम जिलों में हुई।
दक्षिण कश्मीर में पुलवामा के नाइरा इलाके में मुठभेड़ में जेईएम के चार आतंकवादी मारे गए, जबकि एक आतंकवादी मध्य कश्मीर में बडगाम जिले के चरार-ए-शरीफ इलाके में मारा गया, जिसकी पहचान चिल ब्रास खानसाहब निवासी बिलाल अहमद खान के रूप में हुई।
कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जाहिद वानी जैश का शीर्ष कमांडर था। उसका भाई बान प्लाजा हमले (जम्मू में) में शामिल था और जेल में है। वानी 2017 से सक्रिय था और कई हत्याओं, युवाओं की भर्ती करने में शामिल था। समीर डार की हत्या के बाद वह जैश-ए-मोहम्मद का जिला कमांडर बना। दरअसल, वह पूरी घाटी का जैश प्रमुख था। यह एक अच्छा अभियान था और मैं सुरक्षा बलों को बधाई देना चाहता हूं।’’
आईजीपी ने कहा कि इस महीने अब तक 11 मुठभेड़ हुई है, जिसमें आठ पाकिस्तानी समेत 21 आतंकवादी मारे गए हैं। सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए सुरक्षा बलों की पूरी टीम की सराहना करते हुए जीओसी श्रीवास्तव ने कहा कि पुलवामा ऑपरेशन एक अलग अभियान नहीं था, बल्कि खुफिया-आधारित अभियानों की श्रृंखला का एक हिस्सा था, जो पिछले कुछ महीनों में सेना की 15 कोर के अधिकार क्षेत्र में अंजाम दिया गया है।
उन्होंने कहा कि वानी 2017 के बाद से हुए विभिन्न आईईडी हमलों के मास्टरमाइंड में से एक था। मेजर जनरल श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इस सफलता के साथ, हमने इस क्षेत्र में जेईएम के खतरे को निष्प्रभावी करने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाया है। वानी को ढेर करने के साथ हमने 2017 के बाद के वर्षों में हुए विभिन्न आईईडी हमलों के मास्टरमाइंड में से एक को खत्म कर दिया।’’ श्रीवास्तव ने कहा कि वानी युवाओं की आतंकवादी संगठनों में ‘‘व्यापक भर्ती’’ में भी शामिल था।
जीओसी ने कहा, ‘‘उसने (वानी ने) अपनी असामयिक मृत्यु की बात से उन्हें गुमराह किया और क्षेत्र के परिवारों और लोगों को बहुत नुकसान पहुंचाया। उसके खात्मे से जिले के निवासियों और वास्तव में पूरे जम्मू कश्मीर को काफी राहत मिलेगी।’’
पुलिस के एक प्रवक्ता ने पुलवामा मुठभेड़ में मारे गए चार आतंकवादियों की पहचान करीमाबाद, पुलवामा निवासी जाहिद अहमद वानी उर्फ उजैर, खदेरमोह काकापोरा निवासी वहीद अहमद रेशी, नाइरा, पुलवामा निवासी इनायत अहमद मीर और पाकिस्तान निवासी कफील भारी उर्फ छोटू के रूप में की है।
आईजीपी ने कहा कि पुलवामा के नाइरा में जिस घर में मुठभेड़ हुई, उसके मालिक के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। कुमार ने कहा, ‘‘यह (मकान मालिक का बेटा) एक ‘हाइब्रिड’ आतंकवादी का सबसे अच्छा उदाहरण है। ऐसे कई लोग हैं जो आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध नहीं हैं लेकिन उनमें शामिल हैं। इनायत (अहमद) को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया था, लेकिन वह आतंकवादियों के साथ सुरक्षा बलों पर गोलीबारी करता रहा और मारा गया।’’
उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों का ध्यान पाकिस्तानी और ‘हाइब्रिड’ आतंकवादियों को ढेर करने पर है। कुमार ने कहा, ‘‘पिछले दो महीनों में, प्रत्येक मुठभेड़ में एक या दो विदेशी आतंकवादी मारे गए हैं। यह हमारे लिए अच्छी बात है। विदेशी आतंकी सर्दियों में ऊंचे इलाकों से गांवों में आते हैं। ग्रामीण हमें सूचित करते हैं, हम अभियान शुरू करते हैं और विदेशी आतंकी मारा जाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक तथ्य है कि इस बार विदेशी और स्थानीय आतंकियों की संख्या बराबर है। हम उन्हें ढेर कर देंगे। हम पूरी तरह से इस पर ध्यान केंद्रित करेंगे क्योंकि पाकिस्तानी आतंकवादी और ‘हाइब्रिड’ आतंकवादी हमारे लिए एक चुनौती हैं, हम दोनों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और उन्हें ढेर करते रहेंगे।’’ घाटी के शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार है कि आतंकवादियों की संख्या 200 से नीचे आई है। उन्होंने कहा, ‘‘इस साल इसे 100 से नीचे लाने की पूरी कोशिश है।’’
कुमार ने कहा कि आतंकवादी विभिन्न तरीकों से हथियार और गोला-बारूद प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आपने देखा कि जम्मू क्षेत्र में 35 ड्रोन जब्त किए गए। कई हथियार ड्रोन से, सड़क मार्ग से, घुसपैठ के जरिए पहुंचाए गए। बहुत सारे तरीके हैं। लेकिन, हम अपने नेटवर्क को मानव खुफिया और तकनीकी खुफिया जानकारी से मजबूत बना रहे हैं और हम इस खतरे को बेअसर कर देंगे।’’
विभिन्न असॉल्ट राइफलों का प्रदर्शन करने वाले आतंकवादियों के वीडियो के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि हर साल जनवरी-फरवरी में ‘‘आतंकवादी भर्ती बढ़ाने के लिए इस तरह के प्रचार वीडियो जारी करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे कुछ हथियार दिखाते हैं, जो यहां मौजूद नहीं हैं। लेकिन फिर भी अगर ऐसा कोई हथियार यहां आता है तो हमारे सुरक्षा बल उस खतरे को बेअसर करने में काफी सक्षम हैं। चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।’’
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