नयी दिल्ली, 19 सितंबर पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जारी गतिरोध के बीच थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि मई 2020 की घटना के बाद सेना ने इस पर विचार किया था कि क्या यह ‘‘पुनर्संतुलन’’ का मामला है और तब से चार साल बाद उसने इसका पहला चरण पूरा कर लिया है जबकि इसके दूसरे चरण की ‘‘जरूरत’’ है।
भारत शक्ति रक्षा सम्मेलन में एक संवाद सत्र में थल सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि उन्होंने 2025 को प्रौद्योगिकी समावेशन वर्ष घोषित किया है, इसलिए यह यात्रा ‘‘अधिक प्रभावशाली’’ हो गई है, जबकि परिवर्तन वर्ष 2022-2032 तक के पूरे दशक के लिए प्रभावी होगा।
सत्र के दौरान जनरल द्विवेदी से भारतीय सेना के समक्ष आने वाली समग्र चुनौतियों और पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से मिली सीख के बारे में पूछा गया।
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘अनसुलझी सीमा एक चुनौती है और यह स्थिति लंबे समय तक जारी रहेगी। किसी सामरिक ऑपरेशन का असर होता है। एक छोटी सी घटना बड़े टकराव का कारण बन सकती है। इसलिए, यह एक बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है, जब आप जानते हैं कि सभी तरफ तनाव बहुत अधिक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अप्रैल या मई 2020 के बाद हमें इस बारे में सोचना था कि क्या पुनर्संतुलन का मामला है...हम यह भी देख रहे हैं कि यहां पुनर्संतुलन का मामला है। वे पहले ही पुनर्संतुलन के पहले चरण से गुजर चुके हैं।’’
जनरल द्विवेदी ने कहा कि लोगों को पता होना चाहिए कि इसके तहत क्या कदम उठाए गए हैं। जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘क्या पुनर्संतुलन चरण दो की आवश्यकता है, इसका उत्तर है, हां।"
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