नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर उर्वरक कंपनियां फॉस्फोरिक एसिड को 1,000-1,050 डॉलर प्रति टन के भाव पर आयात करने की योजना बना रही हैं। सितंबर तिमाही में वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं की तरफ से तय कीमत के मुकाबले यह भाव करीब 40 प्रतिशत कम है।
फॉस्फोरिक एसिड का इस्तेमाल डीएपी और अन्य एनपीके उर्वरकों के उत्पादन में एक अहम कच्चे माल के तौर पर किया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक, पिछली तिमाही के अंत में अंतरराष्ट्रीय बाजार में फॉस्फोरिक एसिड का भाव 1,715 डॉलर प्रति टन था। लेकिन सितंबर तिमाही में डीएपी उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तीव्र गिरावट आई जिसके बाद फॉस्फोरिक एसिड के भाव में भी कमी आने की उम्मीद की जा रही है।
फॉस्फोरिक एसिड की अंतरराष्ट्रीय कीमतों का निर्धारण तिमाही आधार पर किया जाता है। इसके प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में ओसीपी मोरक्को, जेपीएमसी जॉर्डन और सेनेगल शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि एक उर्वरक कंपनी ने सेनेगल से फॉस्फोरिक एसिड की एक खेप 1,200 डॉलर प्रति टन के भाव पर खरीदी है लेकिन यह भाव अब भी ज्यादा है। देश की अग्रणी उर्वरक कंपनियां अगली तिमाही में इसकी खरीद 1,000-1,050 डॉलर प्रति टन के भाव पर करने की योजना बना रही हैं।
उर्वरक मंत्रालय का भी मानना है कि इस तिमाही में फॉस्फोरिक एसिड का भाव 1,100 डॉलर प्रति टन से कम होना चाहिए।
पिछले हफ्ते मद्रास फर्टिलाइजर्स लिमिटेड ने सालाना 30,000 टन फॉस्फोरिक एसिड आयात करने के लिए दुबई स्थित एग्रीफील्ड्स के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया। इस फॉस्फोरिक एसिड की मदद से करीब 1.67 लाख टन एनपीके उर्वरकों का उत्पादन किया जा सकता है।
इस एमओयू की अवधि तीन साल की है। भारतीय किसानों के लिए डीएपी एवं एनपीके उर्वरकों की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
एमओयू दस्तावेज सौंपे जाने के मौके पर उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि उर्वरक से संबंधित खनिजों एवं कच्चे माल के आयात पर अत्यधिक निर्भरता को देखते हुए सरकार वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं के साथ इस तरह के समझौते कर रही है।
सरकार यूरिया और 25 श्रेणियों के पीएंडके उर्वरकों को किसानों को सब्सिडी पर मुहैया कराती है।
प्रेम
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