देश की खबरें | कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसान बृहस्पतिवार से जंतर-मंतर पर शुरू करेंगे आंदोलन

नयी दिल्ली, 21 जुलाई केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान बृहस्पतिवार से जंतर-मंतर पर भारी सुरक्षा के बीच आंदोलन शुरू करेंगे। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने नौ अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों द्वारा प्रदर्शन की विशेष अनुमति दे दी है।

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि 200 किसानों का एक समूह पुलिस की सुरक्षा के साथ बसों में सिंघू सीमा से जंतर-मंतर आएगा और वहां पूर्वाह्न 11 बजे से शाम 5 बजे तक विरोध प्रदर्शन करेगा।

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को एक शपथपत्र देने के लिए कहा गया है कि सभी कोविड मानदंडों का पालन किया जाएगा और आंदोलन शांतिपूर्ण होगा।

एसकेएम ने कहा कि संसद का मॉनसून सत्र यदि 13 अगस्त को समाप्त होगा तो जंतर-मंतर पर उनका विरोध प्रदर्शन भी 13 अगस्त तक जारी रहेगा। हालांकि उपराज्यपाल ने नौ अगस्त तक धरने की अनुमति दी है।

इस साल 26 जनवरी को एक ट्रैक्टर रैली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद यह पहली बार है जब अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान यूनियनों को शहर में अनुमति दी है।

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, उपराज्यपाल अनिल बैजल, जो डीडीएमए के अध्यक्ष भी हैं, ने बृहस्पतिवार से 9 अगस्त तक हर दिन अधिकतम 200 किसानों द्वारा पूर्वाह्न 11 बजे से शाम पांच बजे तक जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की मंजूरी दी है।

आदेश में कहा गया है, ‘‘उन्हें निर्दिष्ट बसों द्वारा पुलिस एस्कॉर्ट के तहत निर्धारित मार्ग से लाया जाएगा तथा उन्हें कोविड-उपयुक्त व्यवहार (मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, नियमित रूप से हाथ धोना और सैनिटाइटर आदि का उपयोग करना) और भारत सरकार और एनसीटी दिल्ली सरकार द्वारा समय-समय पर कोविड​​​​-19 महामारी के संबंध में जारी अन्य सभी दिशानिर्देशों / निर्देशों / एसओपी का सख्त अनुपालन करना होगा।’’

सूत्रों ने बताया कि जंतर-मंतर पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे।

डीडीएमए के एक आदेश के तहत राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने की वर्तमान में अनुमति नहीं है।

देशभर के हजारों किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं, उनका दावा है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देगा और उन्हें बड़े कार्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ देगा।

सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के तौर पर पेश कर रही है। किसान यूनियनों की सरकार के साथ 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है लेकिन यह दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है।

एसकेएम ने शुरू में प्रस्ताव दिया था कि विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान संसद से कुछ मीटर की दूरी पर जंतर-मंतर पर हर दिन 'किसान संसद' आयोजित करेंगे।

मंगलवार को दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद, एक किसान यूनियन के नेता ने कहा कि वे कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे और कोई भी प्रदर्शनकारी संसद नहीं जाएगा।

किसान यूनियन के नेता ने कहा था, ‘‘हम 22 जुलाई से मॉनसून सत्र समाप्त होने तक 'किसान संसद' आयोजित करेंगे और 200 प्रदर्शनकारी हर दिन जंतर-मंतर जाएंगे। प्रत्येक दिन एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर चुना जाएगा।’’

नेता ने कहा था, ‘‘पहले दो दिनों में एपीएमसी अधिनियम पर चर्चा होगी। बाद में अन्य विधेयकों पर भी हर दो दिन में चर्चा होगी।’’

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने मंगलवार को पीटीआई- को बताया प्रत्येक दिन किसान पहचान पत्र लगाकर सिंघू सीमा से जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करने के लिए जाएंगे।

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