ह्यूस्टन (अमेरिका), 26 दिसंबर दक्षिण एशिया की प्रख्यात उपन्यासकार बापसी सिधवा का अमेरिका के ह्यूस्टन में बुधवार को निधन हो गया। वह 86 साल की थीं।
सिधवा के भाई फिरोज भंडारा ने बताया कि ह्यूस्टन में अंतिम संस्कार से पहले लेखिका का शव तीन दिनों तक अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, जिस दौरान कई श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जाएंगी।
कराची के एक प्रतिष्ठित पारसी परिवार में 11 अगस्त 1938 को पैदा हुईं सिधवा जन्म के कुछ समय बाद ही लाहौर चली गईं, जहां उन्होंने अपना अधिकांश जीवन बिताया।
उन्हें पाकिस्तान की सबसे प्रभावशाली लेखिकाओं में से एक माना जाता है। उनकी रचनाओं को इतिहास और संस्कृति के जीवंत चित्रण के लिए वैश्विक स्तर पर प्रशंसा मिली।
सिधवा के सबसे लोकप्रिय उपन्यास ‘आइस कैंडी मैन’ में 1947 के भारत-पाक बंटवारे की भयावहता को दर्शाया गया है। बाद में भारतीय-कनाडाई फिल्म निर्माता दीपा मेहता ने इस उपन्यास पर आधारित फिल्म ‘अर्थ’ बनाई, जिसे समीक्षकों की खूब वाहवाही मिली।
‘अर्थ’ में पोलियो से संक्रमित एक बच्ची को 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे की भयावहता को महसूस करते दिखाया गया था। सिधवा खुद बचपन में इस मंजर की गवाह रही थीं। ‘आइस कैंडी मैन’ को बीबीसी के 100 सबसे प्रभावशाली उपन्यासों की सूची में जगह दी गई थी।
सिधवा के पहले उपन्यास ‘द क्रो ईटर्स’ ने भी पारसी जीवन और इतिहास के जीवंत चित्रण के लिए उन्हें व्यापक पहचान दिलाई थी। ‘क्रैकिंग इंडिया’, ‘एन अमेरिकन ब्रैट’, ‘द पाकिस्तानी ब्राइड’ और ‘वॉटर’ उनके अन्य लोकप्रिय उपन्यास थे।
साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए सिधवा को पाकिस्तान के प्रतिष्ठित ‘सितारा-ए-इम्तियाज’ से नवाजा गया था।
पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ ने कहा, “सिधवा का निधन साहित्य जगत, पाकिस्तान, भारत और दुनियाभर के पारसी समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है।”
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