जरुरी जानकारी | सोयाबीन तिलहन, मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में गिरावट, बाकी में सुधार

नयी दिल्ली, 18 जनवरी शिकॉगो में मुर्गीदाने में उपयोग आने वाले डी-आयल्ड केक (डीओसी) के दाम टूटने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में बृहस्पतिवार को सोयाबीन तिलहन के साथ-साथ मूंगफली तेल- तिलहन के दाम में गिरावट रही। बाकी तेल- तिलहनों के दाम साधारण सुधार दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो में कल रात डीओसी के दाम 3-3.25 प्रतिशत टूटे जबकि वहां सोयाबीन तेल के दाम में दो प्रतिशत से अधिक का सुधार आया। डीओसी के दाम में आई गिरावट की वजह से देश में सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट देखने को मिली जबकि वहां सोयाबीन तेल के दाम में सुधार की वजह से यहां सोयाबीन तेल कीमतें मजबूत बंद हुईं।

उल्लेखनीय है कि सोयाबीन की पेराई में लगभग 82 प्रतिशत मुर्गीदाने के रूप में उपयोग आने वाला डीओसी निकलता है जबकि इसमें से लगभग 18 प्रतिशत सोयाबीन तेल निकलता है। डीओसी का दाम कमजोर रहने पर इसकी भरपाई के लिए आमतौर पर सोयाबीन तेल के दाम बढ़ाये जाते हैं।

सूत्रों ने कहा कि मूंगफली तेल-तिलहन के दाम सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले लगभग दोगुने बैठते हैं और इसे उच्च आयवर्ग के लोग खाना पसंद करते हैं जिन्हें कीमत की बहुत चिंता नहीं रहती। ऊंचा दाम होने की वजह से बाजार में अधिक खपत नहीं होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखी गई।

उन्होंने कहा कि यह कैसी बिडंबना है कि लगभग 55 प्रतिशत खाद्य तेल जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर देश में मूंगफली तिलहन तो किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम दाम पर खरीदा जाता है और दूसरी ओर उपभोक्ताओं को इसका तेल 200-225 रुपये लीटर से भी ऊंचे दाम पर बेचा जा रहा है। एक ओर किसानों को लागत मिलना मुश्किल है और दूसरी ओर उपभोक्ताओं को मूंगफली तेल सस्ते में मिलना मुश्किल है। मूंगफली की पैदावार भी पहले के मुकाबले घटती जा रही है।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत बंद होने की वजह से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार है। वहीं सरसों में जो सुधार दिख रहा है वह तात्कालिक है। 15 फरवरी के आसपास सरसों की नयी फसल मंडियों में होगी और इसकी पैदावार अच्छा रहने की उम्मीद है लेकिन इसी बात की चिंता है कि जब पहले का सरसों खपा नहीं तो नयी फसल का क्या होगा? इसका रिफाइंड (रफ यूज) भी तब हो सकता है जब यह सोयाबीन (कांडला बंदरगाह पर 82 रुपये किलो) तेल के दाम से कम पर बिके। किसानों को बाजार में जो एमएसपी से कम कीमत की पेशकश की जा रही है और किसानों की जो लागत बैठ रही है उसे देखते हुए यह असंभव प्रतीत हो रहा है कि किसान सस्ते दाम पर सरसों बेचने का प्रयास करें। हालांकि, जो मौजूदा स्थिति है, उस बीच सरसों खपने को लेकर चिंता बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि बिनौला तेल में सुधार का कारण कुछ तो विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों का दाम मजबूत होना है और दूसरा पेराई मिलों को पेराई में होने वाला नुकसान है। इस नुकसान को कम करने के लिए बिनौला तेल के दाम ऊंचे बोले जा रहे हैं। वैसे देखा जाये तो देशी सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी सभी की पेराई में मिलवालों को भारी नुकसान है क्योंकि सस्ते आयातित तेलों के रहते उनके महंगे बैठने वाले खाद्य तेल कौन खरीदेगा।

बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,360-5,410 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,550-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,310-2,585 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,685 -1,780 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,685 -1,785 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,025 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,775 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,225 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 7,950 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,125 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,925-4,955 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,735-4,775 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)