नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक वरिष्ठ कार्यकारी ने शनिवार को कहा कि किसी कंपनी के कारोबारी मॉडल में क्षमता से अधिक कर्ज का का होना बुनियादी समस्या का सूचक है।
एसबीआई के वाणिज्यिक ग्राहक समूहों के प्रबंध निदेशक अरिजीत बसु ने कहा कि दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) ने कॉरपोरेट क्षेत्र और बैकों को बराबर का मौका दिया है।
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वह आईसीएआई के भारतीय दिवाला पेशेवर संस्थान (आईआईआईपीआई) द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में बोल रहे थे। यह सम्मेलन शनिवार से शुरू हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी कंपनी के कारोबारी मॉडल में क्षमता अधिक का ऋण का होना बुनियादी समस्या का सूचक है।’’
बसु ने कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियाों से निपटने में दिवाला कानून की उपयोगिता को रखांकित करते हुए कहा, ‘‘अगर आपके (कंपनी के) पास मजबूत ऋण समाधान योजना नहीं है, तो हमारे (बैंकों) पास आईबीसी के तहत एक व्यवहार्य समाधान योजना है।’
भारतीय ऋण सोधन-अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) की सदस्य मुकुलिता विजयवर्गिंया ने कहा कि इस संहिता का उद्येश्य कंपनियों का व्यवहार ठीक करना है और इस मोर्चे पर हमें काफी कामयाबी मिली है।
आईआईआईपीआई के अध्यक्ष अशोक हल्दिया ने कहा कि नयी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए आईबीसी को और सशक्त किया जाना चाहिए।
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