चेन्नई, 15 जून : तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की शुचिता को प्रभावित करने के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) जिम्मेदार है. उसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर ‘मूक दर्शक’ बने रहने तथा करोड़ों रुपये की कमाई करने वाले कोचिंग संस्थानों का समर्थन करने का आरोप लगाया. द्रमुक ने राष्ट्रीय परीक्षा को खत्म करने की मांग को दोहराते हुए कहा कि ऐसा करने से ही शिक्षा क्षेत्र की शुचिता की रक्षा की जा सकेगी. केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले उच्चतम न्यायालय को बताया था कि 1,563 छात्रों के कृपांक रद्द कर दिए गए हैं, केंद्र के इस जवाब का हवाला देते हुए द्रमुक के तमिल मुखपत्र ‘मुरासोली’ में कहा गया है कि यदि मामला उच्चतम न्यायालय में नहीं ले जाया जाता तो भाजपा सरकार ऐसा नहीं करती.
दैनिक अखबार ने 15 जून के संपादकीय में आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में नीट में कई अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं और भाजपा सरकार ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया. नीट आयोजित करने में अब तक जो अनियमितताएं और धांधली ‘गुप्त’ तरीके से होती रहीं वे सभी इस वर्ष ‘‘खुलेआम’’ की गईं. इसे छिपाने के लिए 14 जून के लिए निर्धारित परीक्षा परिणाम को लोकसभा चुनाव के परिणाम वाले दिन चार जून को जारी किया गया. घोटाला हालांकि सभी के सामने आ गया. संपादकीय में कहा गया, ‘‘हमने कृपांक के बारे में अब तक यही सुना है कि एक या दो अंक दिए जाते हैं, लेकिन 70 और 80 अंकों को कृपांक कैसे कहा जा सकता है? एनटीए ने पूरे अंक दिए और यह राष्ट्रीय अन्याय है.’’ भाजपा सरकार हर माह करोड़ों की कमाई करने वाले कोचिंग संस्थानों की ‘‘संरक्षक’’ बनी हुई है और उसने शिक्षा क्षेत्र में भी ‘कॉरपोरेट राज’ स्थापित कर दिया. यह भी पढ़ें : माकपा की मुस्लिम विरोधी अभियान से भाजपा को केरल में लोस सीट जीतने में मदद मिली: आईयूएमएल
शुरुआत से ही तमिलनाडु और द्रमुक सहित प्रमुख राजनीतिक दल नीट का विरोध कर रहे हैं और विधानसभा ने राज्य को इस परीक्षा के दायरे से छूट देने के लिए एक विधेयक पारित किया था और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र के पास भेजा गया था. संपादकीय में कहा गया, ‘‘हमने (राज्य ने) नीट को समाप्त करने या तमिलनाडु को इस परीक्षा से बाहर रखने का अनुरोध किया था.’’ हालांकि, भाजपा सरकार ने इस विरोध को महज राजनीतिक मुद्दा करार देकर खारिज कर दिया. हालांकि, आज छात्रों को खुद ‘‘धांधली’’ का एहसास हो गया है और प्रभावित छात्रों ने पांच मई 2024 को हुई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा को रद्द करने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अनियमितताओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की.