देश की खबरें | भोपाल गैस रिसाव के चालीस साल बाद भी प्रभावितों में तेजी से बढ़ रही बीमारियां

भोपाल, दो दिसंबर दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा, भोपाल गैस त्रासदी के बचे लोगों के साथ काम करने वाले एक संगठन ने सोमवार को दावा किया कि गैस प्रभावित लोगों में बीमारियों की दर अप्रभावित लोगों के मुकाबले कहीं अधिक है।

संभावना ट्रस्ट क्लिनिक के पदाधिकारियों ने यहां संवाददाताओं को बताया कि यह निष्कर्ष 16305 गैस से प्रभावित और 8106 अप्रभावित रोगियों के ​​आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है।

पदाधिकारियों ने बताया कि इन रोगियों को पिछले 16 वर्षों में उनके केन्द्र में देखभाल मिली। उन्होंने कहा कि आंकड़े गैस पीड़ितों के लिए निरंतर चिकित्सा अनुसंधान और निरंतर स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।

दो-तीन दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि में यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) का रिसाव हुआ था, जिससे 5,479 लोग मारे गए और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए।

ट्रस्ट की चिकित्सक डॉ. उषा आर्य ने कहा, ‘‘गैस के संपर्क में आने वाली आबादी को असमान रूप से प्रभावित करने वाली बीमारियों की दरें, जैसे कि श्वसन संबंधी बीमारियां और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार, पिछले 16 वर्षों में काफी अधिक रही हैं। गैस के संपर्क में आने वाले समूह में श्वसन संबंधी बीमारियां, अप्रभावित आबादी की तुलना में 1.7 से 2 गुना अधिक थीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गैस के संपर्क में आने वाले समूह में अवसाद की दर भी अधिक पाई गई। मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियां, जो पहले गैस के संपर्क में आने से जुड़ी नहीं थीं, पिछले 16 वर्षों में लगातार और महत्वपूर्ण रूप से बढ़ रही हैं। गैस के संपर्क में न आने वाले रोगियों की तुलना में गैस के संपर्क में आने वाले रोगियों में मधुमेह पांच गुना अधिक पाया गया। उच्च रक्तचाप तीन गुना से अधिक पाया गया।’’

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सोनाली मित्तल ने कहा कि गैस के संपर्क में न आने वाली महिलाओं की तुलना में समय से पहले रजोनिवृत्ति जैसी हार्मोनल स्थितियां 2.6 गुना अधिक थीं।

चिकित्सक डॉ. बी. रघुराम ने बताया, ‘‘गुर्दे से संबंधित बीमारियां, जो संभवतः एमआईसी (मिथाइल आइसोसाइनेट) के संपर्क में आने से होने वाली प्रारंभिक चोट के कारण होती हैं, संपर्क में आने वाले समूह में सात गुना अधिक रही हैं।’’

उन्होंने बताया, ‘‘ मायोकार्डियल इंफार्क्शन और इस्केमिक हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां गैस के संपर्क में आने वाले लोगों में 4.5 गुना अधिक पाई गईं।’’

तंत्रिका तंत्र संबंधर बीमारियों के बारे में डॉ. पी. के. अवस्क्थी ने कहा कि गैस के संपर्क में आने वाले लोगों में ‘हेमिप्लेजिया और न्यूरलजिया’ लगभग चार गुना अधिक आम पाए गए।

अवस्थी ने कहा, ‘‘न्यूरोपैथी, जो संभवतः मधुमेह जैसे कारकों से प्रभावित होती है, संपर्क में आने वाले लोगों में सात गुना अधिक पाई गई। हमने यह भी पाया कि हाइपोथायरायडिज्म, एक चयापचय विकार, पिछले सात वर्षों में दोनों आबादी में बढ़ रहा है, लेकिन गैस के संपर्क में आने वाले लोगों में यह 1.7 गुना अधिक है।’’

संभावना न्यास के संस्थापक न्यासी और सलाहकार सतीनाथ सारंगी ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि भयावह घटना के चालीस साल बाद भी गैस पीड़ितों में उच्च रुग्णता का एक नियमित पैटर्न बना हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये आंकड़े भोपाल के बचे लोगों के लिए विशेष स्वास्थ्य देखभाल की निरंतर महत्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर करते हैं।’’

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