मुंबई, 29 जुलाई एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता अरूण फरेरा ने शुक्रवार को यहां एक विशेष अदालत को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (ईमेल) बगैर ‘उपयुक्त अनुमति’ के हासिल किये गये।
ईमेल से प्राप्त की गई सामग्री को अभियोजन द्वारा साक्ष्य के तौर पर पेश किया गया है।
हालांकि, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने दलील दी है कि ईमेल गुप्त रूप से हासिल नहीं किये गये, बल्कि उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए जांच के दौरान उन्हें डाउनलोड किया गया।
फरेरा ने विशेष एनआईए अदालत को बताया कि उन्होंने दो महीने पहले एक अर्जी देकर अभियोजन को यह निर्देश देने की मांग की थी कि इसके लिए एक सक्षम प्राधिकार से आदेश दिलाया जाए।
फरेरा मामले में अपनी गिरफ्तारी के बाद अभी न्यायिक हिरासत में हैं।
उन्होंने अपनी अर्जी में दावा किया कि मानवाधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन और एक वांछित आरोपी के बीच ईमेल पर हुए संवाद को जांच एजेंसी (पुणे पुलिस) ने 2018 में कई बार हासिल किया था।
फरेरा ने कहा है कि गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत इस तरह की सामग्री को साक्ष्य के तौर पर हासिल नहीं किया जा सकता, ना ही किसी अदालती सुनवाई या कार्यवाही में पेश किया जा सकता है।
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