देश की खबरें | ईडी केवल ‘आपराधिक साजिश’ के आधार पर पीएमएलए मामलों को दर्ज नहीं करेगा

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अधिकारियों से कहा है कि वे धनशोधन का मामला दर्ज करते समय केवल “आपराधिक साजिश” के प्रावधान पर ही निर्भर न रहें, बल्कि पीएमएलए की धारा 66(2) जैसी और धाराएं भी जोड़ें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अदालती जांच में खरे उतरें। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

उच्चतम न्यायालय सहित अदालत के हाल में कई फैसले दिए हैं, जिनमें कहा गया है कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (अब भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 61(2)) ही धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए एक स्वतंत्र "पूर्वगामी अपराध" नहीं हो सकती है, बल्कि उसमें “अधिसूचित अपराध” का मामला भी होना चाहिए।

इन निर्णयों के आलोक में, संघीय एजेंसी ने अपने जांचकर्ताओं से पीएमएलए की धारा 66(2) के प्रावधानों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने को कहा है, जो ईडी को किसी अपराध के बारे में जानकारी पुलिस विभाग या सीमा शुल्क जैसी एजेंसी के साथ साझा करने की अनुमति देता है, ताकि एक नई प्राथमिकी या शिकायत दर्ज की जा सके, जिसके आधार पर एजेंसी अपना धनशोधन का मामला दर्ज कर सके।

अदालतों ने फैसला सुनाया है कि आईपीसी की धारा 120-बी धनशोधन का मामला दर्ज करने और जांच शुरू करने के लिए पर्याप्त नहीं है। सूत्रों ने बताया कि कुछ मामलों में ईडी की कुछ प्राथमिकी या मामले रद्द कर दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि इसलिए यह निर्देश दिया गया है कि एक ठोस मामला बनाने के लिए पीएमएलए कानून की अन्य धाराओं को ईडी ईसीआईआर (प्राथमिकी) में लागू किया जाना चाहिए।

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा तथा कुछ अन्य के खिलाफ ईडी के धनशोधन के मामलों को अदालतों ने इस आधार पर रद्द कर दिया।

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