देश की खबरें | डूसू चुनाव लोकतंत्र का जश्न, धनशोधन का जरिया नहीं : दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 25 सितंबर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को विरूपित करने पर नाराजगी जताते हुए उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि चुनाव लोकतंत्र का उत्सव होता है न कि धनशोधन का जरिया।

मनोनीत मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया प्रतीत होता है कि उम्मीदवारों द्वारा करोड़ों रुपये व्यय किए गए हैं। अदालत ने मौखिक रूप से विश्वविद्यालय के कुलपति को मामले में हस्तक्षेप करने और सख्त कार्रवाई करने को कहा।

अदालत ने कहा कि शिक्षास्थल पर लोग ‘निरक्षर की तरह व्यवहार’ कर रहे हैं। खंडपीठ ने कहा कि चुनाव प्रणाली युवाओं को भ्रष्ट करने के लिए नहीं है।

सार्वजनिक संपत्तियों को विरूपित करने की तस्वीरों को देखने के बाद खंडपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि डूसू चुनाव में स्थिति आम चुनाव से भी बदतर है।

खंडपीठ ने कहा कि विश्वविद्यालय को 27 सितंबर को होने वाले मतदान को स्थगित कर देना चाहिए या उम्मीदवारों को अयोग्य करार देकर नये सिरे से नामांकन कराना चाहिए या मतदान कराने की अनुमति देकर नतीजे तबतक घोषित नहीं करने चाहिए जबतक संपत्तियों को विरूपति करने वाले पोस्टर बैनर न हटा दिये जाते।

अदालत में उपस्थित विश्वविद्यालय के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के निर्देश पर संस्थान का पक्ष रखने के लिए उपस्थित अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले पर बृहस्पतिवार को सुनवाई की जाए, क्योंकि अधिकारी तब तक इस पर निर्णय लेने की योजना बना रहे हैं।

अदालत ने इसके बाद मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दी और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली मेट्रो के साथ सहयोग करे, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि आगे से कोई सार्वजनिक संपत्ति विरूपित न की जाए और जिन संपत्तियों को विरूपित किया गया है उन्हें उनके पुराने स्वरूप में ला दिया गया है।

खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘इस चुनाव में लोगों के पास बहुत पैसा है। यह लोकतंत्र का उत्सव है, धनशोधन का नहीं। यह जो हो रहा है वह धनशोधन है। इसमें करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘‘चुनाव प्रणाली युवाओं को भ्रष्ट करने के लिए नहीं है। शिक्षा स्थल पर लोग अनपढ़ की तरह व्यवहार कर रहे हैं। केवल अनपढ़ ही ऐसा व्यवहार कर सकते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय कुछ नहीं कर रहा है। सख्त कार्रवाई करें, ताकि इन लोगों को एहसास हो कि ये ऐसा नहीं कर सकते हैं। इससे पता चलता है कि पैसे की कोई कमी नहीं है। कुलपति आज ही बैठक बुलाएं।’’

अदालत ने कहा, ‘‘यह भ्रष्टाचार के समान है। अगर इस स्तर पर विद्यार्थी भ्रष्ट होते हैं तो इसका कोई अंत नहीं है।’’

अदालत उस अर्जी पर सुनवाई कर रही है, जिसमें अनुरोध किया गया था कि सार्वजनिक दीवारों की खूबसूरती को बिगाड़ने, विरूपित करने में संलिप्त डूसू उम्मीदवारों और छात्रसंघ के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

पेशे से वकील प्रशांत मनचंदा ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया है, जो कक्षाओं को नुकसान पहुंचाने में संलिप्त हैं और इस प्रकार नागरिकों को सुंदर वातावरण और विरूपन से मुक्त स्वच्छ माहौल से और विद्यार्थियों को शिक्षा के उनके अधिकार से वंचित कर रहे हैं।

सुनवाई के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस मुद्दे पर आरोपी उम्मीदवारों को पहले ही कारण बताओं नोटिस जारी कर पूछा गया है कि सार्वजनिक संपत्ति को विरूपित करने पर क्यों न उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी जाए।

एमसीडी के अधिवक्ता ने बताया कि बड़ी संख्या में पोस्टर-बैनर और अन्य विरूपित करने वाली सामग्रियों को सार्वजनिक संपत्तियों से हटा दिया गया है, लेकिन अब भी इनकी भरमार है।

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