जरुरी जानकारी | कम दाम पर बिकवाली नहीं होने से सभी तेल-तिलहनों में मामूली सुधार

नयी दिल्ली, एक फरवरी किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम दाम पर बिकवाली करने को राजी नहीं होने के कारण बृहस्पतिवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में मजबूती दिखी।

मलेशिया एक्सचेंज आज बंद है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात गिरावट के साथ बंद हुआ था और फिलहाल यहां मामूली घट-बढ़ जारी है।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तिलहन पहले से ही एमएसपी से नीचे बिक रहे थे और मंडियों में इन फसलों की और भी ज्यादा कम कीमत बोली जा रही है जिसपर किसान अपनी तिलहन फसल बेचने को राजी नहीं हैं। मंडियों में पहले से ही सरसों एमएसपी से लगभग 12 प्रतिशत नीचे, मूंगफली 10 प्रतिशत नीचे बिक रही है। दूसरी ओर सोयाबीन के मामले में तो किसानों को लागत भी निकालना मुश्किल हो चला है।

आम बजट में देश को तिलहन मामले में आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प का स्वागत करते हुए सूत्रों ने कहा, ‘‘किसानों द्वारा केवल तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ा देना काफी नहीं है, सबसे महत्वपूर्ण बात देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित करना है । इस बारे में सरकार को समझा पाने में देश के प्रमुख तेल संगठन नाकामयाब रहे हैं। जब सस्ते आयातित तेल के थोक दाम टूटे पड़े हों तो देशी तेल तिलहनों की ओर कोई क्यों झांकेगा? इसलिए देशी तेल-तिलहनों के मंडियों में खपने का वातावरण बनाने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा कि वर्ष 1990-91 के लगभग देश खाद्य तेल मामले में आत्मनिर्भर था। खाद्य तेल कीमतें बढ़ने पर सरकार गरीबों को राशन की दुकानों के माध्यम से इसे उपलब्ध कराती थी जिससे न तो किसानों को और न ही तेल उद्योग के सामने कोई संकट रहता था। गरीबों को सस्ते में खाद्य तेल सुलभ होता था। जब देश के तेल उद्योग जीवित रहेंगे तभी तिलहन किसान भी कायम रहेंगे और इसके लिए सर्वप्रथम, सरकार को देशी तेल-तिलहन का बाजार विकसित करने की ओर ध्यान केन्द्रित करना होगा।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने किसानों से एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद का इरादा जताया है लेकिन इससे तेल पेराई मिलों की मुसीबत और बढ़ जायेगी। सस्ते आयातित तेलों की वजह से जब इन मिलों के तेल बाजार में खपेंगे ही नहीं तो एमएसपी पर खरीद का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि देश में कई स्थानों पर सरसों की आवक शुरू हो गयी है, अगर मौसम थोड़ा साफ हुआ तो सरसों की कीमत और ज्यादा टूट सकती है। सरसों का पिछले साल का भी बचा स्टॉक है और मौजूदा उत्पादन अच्छा होने की संभावना है। मौजूदा दरों पर मंडियों में सरसों का खपना मुश्किल है।

बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,260-5,310 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,350-6,425 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,245-2,520 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,665 -1,760 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,665 -1,765 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 7,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 7,950 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,100 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,200 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,580-4,610 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,390-4,430 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।

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