देश की खबरें | सुरंग में पाइप से 'एस्केप टनल' बनाने के लिए ड्रिलिंग शुरू, सभी श्रमिक सुरक्षित

उत्तरकाशी, 14 नवंबर यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले दो दिनों से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचावकर्मियों ने मंगलवार को मलबे में बड़े व्यास का ‘माइल्ड स्टील’ पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी ।

बचाव एवं राहत कार्यों की निगरानी कर रहे उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने बताया कि आगर मशीन और 900 मिमी व्यास के पाइप सुबह ही मौके पर पहुंचा दिए गए थे और सुरंग में ‘ड्रिलिंग’ (खुदाई) शुरू कर दी गयी है ।

तकनीकी विशेषज्ञों के हवाले से उन्होंने कहा, 'अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला तो बुधवार तक सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा ।'

मलबे में ‘ड्रिलिंग’ के लिए आगर मशीन को स्थापित करने के लिए प्लेटफार्म बनाने में लगभग पूरा दिन लग गया ।

अधिकारियों ने कहा कि अब मलबे के आरपार पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू होगी । पाइप डालने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों एवं इंजीनियरों की टीम घटनास्थल पर मौजूद है जिसकी अगुवाई उत्तराखंड पेयजल निगम के महाप्रबंधक एवं ड्रिलिंग और बोरिंग के विशेषज्ञ दीपक मलिक कर रहे हैं ।

उन्होंने बताया कि योजना के अनुसार, क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ के जरिए पाइप डालकर 'एस्केप सुरंग' बनाई जाएगी जिसके जरिए श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा ।

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने इससे पहले कहा था कि मंगलवार रात या बुधवार तक सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा ।

उधर, सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित बताए जा रहे हैं जिन्हें पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन, पानी, सूखे मेवे सहित अन्य खाद्य सामग्री, बिजली,दवाइयां आदि पहुंचाई जा रही हैं ।

उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने मौके का मुआयना करने के बाद संवाददाताओं को बताया, ' अभी तक की अद्यतन स्थिति के अनुसार, सुरंग में फंसे सभी 40 श्रमिक सुरक्षित हैं ।”

उन्होंने बताया कि एक श्रमिक को उल्टी आने की समस्या है इसलिए उन तक दवाइयां भी पहुंचा दी गयी हैं ।

इस बीच अंदर फंसे श्रमिकों में से एक गब्बर सिंह नेगी से उनके पुत्र आकाश ने पाइप के जरिए बातचीत की जिससे उसके साथ ही अन्य श्रमिकों के परिजनों को भी राहत मिली ।

कोटद्वार के निकट बिशनपुर के रहने वाले नेगी के पुत्र आकाश ने 'पीटीआई-' को बताया, ' मुझे कुछ सेकेंड के लिए उस पाइप के जरिए अपने पिता से बात करने की अनुमति मिली जिससे सुरंग में फंसे श्रमिकों को ऑक्सीजन भेजी जा रही है ।'

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