ताजा खबरें | संदेह तब पैदा होता है जब महाराष्ट्र के गौरव के लिए बनी पार्टी अपने दुश्मनों का समर्थन करती है : राउत

मुंबई, 10 अप्रैल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने बुधवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि जब महाराष्ट्र के गौरव की रक्षा के लिए बना एक संगठन अपने ‘दुश्मनों’ का समर्थन करता है तो लोगों के मन में संदेह पैदा होता है।

राउत की यह टिप्पणी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के गठबंधन 'महायुति' को बिना शर्त समर्थन देने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का साथ देने की घोषणा के एक दिन बाद आई है।

मनसे नेता ने अभी यह नहीं बताया है कि उनकी पार्टी, जिसने अब तक कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेगी या नहीं।

राउत ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र के गौरव के लिए लड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सभी भ्रष्ट व्यक्तियों को अपने पाले में ले लिया है।

उन्होंने कहा, ''महाराष्ट्र से कारोबार दूर जा रहे हैं, मुंबई को तोड़ने और गतिहीन बनाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में अगर महाराष्ट्र के गौरव के लिए बनी पार्टी महाराष्ट्र के दुश्मनों का समर्थन करती है, तो लोगों के मन में संदेह पैदा होता है।"

राज ठाकरे ने मंगलवार को गुड़ी पड़वा (परंपरागत महाराष्ट्र नव वर्ष) पर अपनी पार्टी की वार्षिक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी युवाओं की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र को उसके द्वारा भुगतान किए जाने वाले करों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय राजस्व का एक बड़ा हिस्सा मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा, "जब देश में एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता होगी, तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बिना शर्त भाजपा, शिवसेना, राकांपा का समर्थन करेगी। यह केवल नरेन्द्र मोदी के लिए है।"

उन्होंने मोदी की आलोचना करने के लिए अपने चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और राउत पर भी हमला किया था।

उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर 2019 में दीर्घकालिक सहयोगी भाजपा से नाता तोड़ कर कांग्रेस और राकांपा (तब अविभाजित) के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी।

जून 2022 में शिवसेना का विभाजन हो गया और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में उसके अधिकांश विधायकों ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया। बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

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