नयी दिल्ली, 11 जून लवलीना बोरगोहेन ने शनिवार को कहा कि ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद समारोहों के अनवरत सिलसिले और मुक्केबाजी रिंग से बाहर की अन्य व्यस्तताओं से उनका ध्यान भटका और अभ्यास प्रभावित हुआ ।
तोक्यो ओलंपिक की पदक विजेता ने कहा कि पिछले महीने विश्व चैम्पियनशिप के दौरान वह मानसिक रूप से मजबूत महसूस नहीं कर रही थी ।
तोक्यो ओलंपिक के बाद यह उनका पहला टूर्नामेंट था और वह प्री क्वार्टर फाइनल में हार गई ।
उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों के लिये 70 किलो वर्ग में भारतीय टीम में जगह बनाने के बाद कहा ,‘‘ विश्व चैम्पियनशिप में मैं मानसिक रूप से मजबूत महसूस नहीं कर रही थी । मैं फोकस नहीं कर पा रही थी । मैने उस पर काम किया है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ मेरा लक्ष्य तोक्यो में स्वर्ण पदक जीतना था लेकिन मैं नहीं जीत सकी । उसके बाद मैं लगातार अभ्यास करके अगली स्पर्धा में अच्छे प्रदर्शन के बारे में सोचती रही ।’’
लवलीना ने कहा ,‘‘ तोक्यो के बाद लोगों की अपेक्षायें बढ गई। मुझे कई समारोहों में भाग लेना पड़ा और आप मना नहीं कर सकते वरना लोग कहेंगे कि पदक जीतने के बाद अहंकारी हो गई है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ इससे अभ्यास पर असर पड़ा । एक खिलाड़ी को फोकस बनाये रखने के लिये समय चाहिये होता है । मुझे लगा नहीं था कि इन सबसे अभ्यास प्रभावित होगा लेकिन ऐसा हुआ ।’’
नये भारवर्ग आने के बाद लवलीना अब 66 किलो की बजाय 75 किलो में उतरेगी ।
उन्होंने कहा ,‘‘ मैने 75 किलो का सोचा है लेकिन मेरा वजन उतना बढा नहीं है तो मैं राष्ट्रमंडल खेलों के बाद फैसला लूंगी ।’’
वहीं विश्व चैम्पियन निकहत जरीन ने भी राष्ट्रमंडल खेलों के लिये टीम में जगह बनाई है लेकिन उनका मानना है कि नये भारवर्ग में कुछ पहलुओं पर काम करना होगा ।
स्ट्रांजा मेमोरियल में 52 किलोवर्ग में भाग लेने के बाद एशियाई खेलों के लिये उन्होंने 51 किलो में तैयारी की । फिर विश्व चैम्पियनशिप के लिये 52 किलो में और अब राष्ट्रमंडल खेलों में 50 किलोवर्ग में उतरेगी ।
उन्होंने कहा ,‘‘ यह मेरा असल भारवर्ग नहीं है । मुझे इस वर्ग में दमखम, रफ्तार , ताकत सभी पर काम करना होगा ।’’
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