पुणे, 12 मई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि अगर महा विकास आघाड़ी (एमवीए) महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष पद से नाना पटोले के इस्तीफे के बाद तुरंत कार्रवाई करती तो पिछले साल अविभाजित शिवसेना में मची उथल-पुथल के बाद 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता था।
एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार के पतन के कारण राज्य में पैदा हुए राजनीतिक संकट पर उच्चतम न्यायालय के फैसला सुनाए जाने के एक दिन बाद पवार यहां संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
एकनाथ शिंदे ने बाद में भाजपा से हाथ मिला लिया और राज्य के मुख्यमंत्री बन गए।
पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की ठाकरे की मांग व्यर्थ है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और "मौजूदा लोगों" में बहुत फर्क है।
उन्होंने कहा “सबसे पहले, तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष (पटोले) ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मशविरा किए बिना ही इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद ही इसकी घोषणा की गई थी। यह नहीं होना चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ।”
पवार ने कहा कि पटोले के इस्तीफे (फरवरी 2021 में) के बाद, महागठबंधन जिसमें राकांपा, कांग्रेस और अविभाजित शिव सेना भी शामिल थी, को विधानसभाध्यक्ष की नियुक्ति का मुद्दा उठाना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दुर्भाग्य से, एमवीए के रूप में हम ऐसा करने में नाकाम रहे।”
अजित पवार एमवीए सरकार में उप मुख्यमंत्री थे।
उन्होंने कहा कि अगर विधानसभा अध्यक्ष होते तो शिंदे गुट के विद्रोह के कारण पैदा हुए अयोग्यता के मुद्दे को सुलझाया जा सकता था। लेकिन लंबे समय से, विधानसभा के उपाध्यक्ष सदन की कार्यवाही देख रहे थे। पवार अभी विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।
उन्होंने कहा, “इस घटना (विद्रोह और नयी सरकार के गठन) के बाद, उन्होंने तुरंत उस खाली पद को भर दिया। अगर वह पद पहले से ही भरा होता तो अध्यक्ष इन 16 लोगों (विधायकों) को अयोग्य घोषित कर देते।’’
न्यायालय के फैसले के बाद शिंदे और फडणवीस से नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की ठाकरे की मांग के संबंध में पवार ने कहा कि इससे कोई मकसद हल नहीं होगा। उन्होंने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा लोगों के बीच बहुत अंतर है। वे कभी इस्तीफा नहीं देंगे। वे सपने में भी इस्तीफा नहीं देंगे।’’
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार को बहाल नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने पिछले साल जून में शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था। उसने अध्यक्ष को ‘‘उचित अवधि’’ के भीतर 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करने को कहा।
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