भेदभाव करने वाला बॉस सबके लिए नुकसानदायकः शोध
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अगर किसी दफ्तर में बॉस का व्यवहार भेदभावपूर्ण है तो वह उनके लिए भी खतरनाक है जिनके पक्ष में वह भेदभाव करते हैं.जब लोग भेदभाव करने वाले बॉस के साथ काम करते हैं तो वे उनकी काम करने की लगन कम हो जाती है. ऐसा सिर्फ भेदभाव सहने वाले कर्मचारी के मामले में ही नहीं, उन कर्मचारियों के मामले में भी सच है, जिनके पक्ष में दूसरों के साथ भेदभाव किया जाता है.

नेचर ह्यूमन बिहेवियर नामक जर्नल में छपे एक नये शोध पत्र में ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी के निकोलस हाइजरमान और साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर ब्रेंट सिंपसन ने यह बात कही है.

कैसे हुआ शोध

इन दोनों शोधार्थियों ने लगभग 1,200 लोगों पर यह शोध किया है. उन्होंने लोगों के साथ कई तरह के प्रयोग किये. द कन्वर्सेशन पत्रिका में अपने लेख में प्रोफेसर सिंपसन लिखते हैं, "कुछ प्रयोगों में हमने प्रतिभागियों को अलग-अलग काम दिये जैसे कि उन्हें एक सूची में कुछ अंक खोजने थे और बताना था कि कितनी बार अंक 3 आया. उन्होंने जितनी खोजें पूरी कीं, उनकी कोशिशों को उतनी अधिक रेटिंग दी गई. ये लोग छोटे-छोटे समूहों में या फिर जोड़ों में काम कर रहे थे. उन्हें कहा गया ज्यादा से ज्यादा अंक खोजने के आधार पर बॉस उनमें से किसी एक को बोनस देगा."

उसके बाद शोधार्थियों ने भेदभाव पूर्ण स्थिति पैदा करने के लिए प्रतिभागियों को बताया कि कर्मचारियों को लाल और नीले, दो समूहों में बांटा गया है. हालांकि सभी प्रतिभागियों को नीले समूह में रखा गया और एक तिहाई लोगों को बताया कि नीले समूह के कर्मचारियों के साथ बॉस भेदभाव करता है. अन्य एक तिहाई को बताया गया कि उन्हें बॉस पसंद करता है. अन्यों को किसी तरह की सूचना नहीं दी गई.

भेदभाव का असर

प्रोफेसर सिंपसन कहते हैं, "हमने पाया कि बॉस द्वारा भेदभाव करने वाले हैं, उन्होंने तीसरे समूह के मुकाबले कम अंक खोजे. कम अंक खोजने वालों में वे दोनों समूह थे जिनके पक्ष में या खिलाफ भेदभाव होता था.”

शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि भेदभाव के कारण लोगों की उत्पादकता कम हो जाती है और बोनस जैसे रिवॉर्ड से भी उन्हें फर्क नहीं पड़ता. प्रोफेसर सिंपसन कहते हैं कि आम समझ भी यही कहती है कि अगर आपको पता है कि आपका बॉस के व्यवहार निष्पक्ष नहीं है और वह आपके पक्ष में है तो आप मानकर चलोगे कि काम करें या ना, आपको फायदा होगा ही. वैसी स्थिति में आपकी उत्पादकता घट जाएगी.

यह बात तो स्थापित है कि कार्यस्थलों में जिन लोगों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार होता है उनकी आय और आगे बढ़ने के मौके कम हैं. लेकिन ताजा अध्ययन यह कहता है कि इस तरह का व्यवहार सभी कर्मचारियों की उत्पादकता कम करता है, यहां तक कि उनकी भी जिन्हें भेदभावपूर्ण व्यवहार का फायदा हो रहा है. इसलिए शोधकर्ता निष्कर्ष देते हैं कि पक्षपात किसी भी कार्यस्थल के लिए खतरनाक है.

हर जगह है भेदभाव

इसी साल ऑस्ट्रेलिया में हुए एक अध्ययन में 91 फीसदी लोगों ने कहा था कि उन्होंने कार्यस्थलों पर किसी ना किसी तरह का भेदभाव या पक्षपात झेला है. यह भेदभाव लिंग, जाति, नस्ल, रंग, उम्र या वजन आदि किसी भी वजह से हो सकता है.

महिलाओं को तो सबसे ज्यादा भेदभाव झेलने वाला समूह माना जाता है. पिछले साल आई ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत के ग्रामीण इलाकों में भेदभाव के कारण ही महिलाओं में गैरबराबरी है, जबकि शहरी क्षेत्रों में गैरबराबरी की यह दर 98 फीसदी है. लैंगिक भेदभाव के कारण भारत में पुरुष कर्मचारी महिलाओं से ढाई गुना ज्यादा कमाते हैं.

इसके अलावा अपने शोधपत्र में शोधकर्ता एक और बात को समझाते हैं कि पक्षपात का कर्मचारियों की क्षमता और उत्पादकता पर असर समय के साथ-साथ बुरा होता जाता है. प्रोफेसर सिंपसन कहते हैं कि हमने पाया कि जिन लोगों के साथ भेदभाव होता है, उनकी उत्पादकता में सबसे ज्यादा कमी आती है.

वह कहते हैं, "हमें संदेह है कि इससे एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है. जब किसी के साथ भेदभाव होता है तो उसकी लगन कम होती है. नतीजतन बॉस उसे सुस्त या निकम्मे कर्मचारी के रूप में देखता है और उसे कम लाभ मिलते हैं. इस तरह उस कर्मचारी के प्रति भेदभाव की वजहें और मजबूत हो जाती हैं.”