न्यूजीलैंड में महामारी के दौरान भेदभाव और नस्लवाद बढ़ा
न्यूजीलैंड के हर पांच में दो से अधिक (41 प्रतिशत) निवासियों ने कहा है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान नस्लवाद की घटनाएं बढ़ी हैं. इस साल फरवरी तथा मार्च में किए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है.
वेलिंगटन, 20 मई: न्यूजीलैंड के हर पांच में दो से अधिक (41 प्रतिशत) निवासियों ने कहा है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान नस्लवाद की घटनाएं बढ़ी हैं. इस साल फरवरी तथा मार्च में किए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है. माओरी, पैसिफिक और एशियाई मूल के लोगों को नस्लवाद का अनुभव ज्यादा हुआ है और इनमें से आधे लोगों का कहना है कि एक तिहाई यूरोपीय न्यूजीलैंड वासियों के मुकाबले उनके साथ नस्लवाद अधिक है.
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 1,083 लोगों में से आधे से अधिक (52 प्रतिशत) का कहना है कि नस्लवाद पहले के जैसा ही है और सात प्रतिशत का कहना है कि यह कम हुआ है. कोरोना वायरस महामारी से एशियाई लोगों के प्रति घृणा की भावना बढ़ी है. साथ ही जातीय अल्पसंख्यकों पर इस बीमारी का काफी असर पड़ा है और कई लोगों की मौत हुई है. अल्पसंख्यक जातीय समूहों में मृत्यु दर ब्रिटेन में श्वेत आबादी के मुकाबले दो या उससे अधिक गुना ज्यादा है. न्यूजीलैंड में माओरी और पैसिफिक लोगों की कोविड-19 के कारण करीब दो गुना अधिक मौतें हुई हैं.
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हर पांच में करीब दो लोगों ने कहा कि उन्होंने देखा है कि लोग दूसरे लोगों को वे कैसे दिखते या कैसी अंग्रेजी बोलते हैं, इसके कारण भेदभाव करते हैं. करीब एक चौथाई लोगों ने अपनी जातीयता के कारण भेदभाव का अनुभव साझा किया जिसमें सरकारी विभागों, कार्य स्थलों तथा स्वास्थ्य देखाभाल सेवाएं लेते समय हुआ भेदभाव शामिल है.
एशियाई मूल के लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन देते वक्त, कार्य स्थल पर और खरीददारी के लिए जाते या रेस्त्रां जाते वक्त अधिक भेदभाव का सामना किया.
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