चंडीगढ़, आठ दिसंबर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि विकसित भारत अब सपना नहीं, बल्कि लक्ष्य है जिसे भगवद्गीता के संदेश को ध्यान में रखते हुए नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से हासिल किया जाना है।
उन्होंने लोगों को उन ताकतों के बारे में भी आगाह किया जो भारत को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं।
धनखड़ ने कहा, ‘‘हमने 2047 में विकसित भारत का रास्ता चुना है। विकसित भारत अब सपना नहीं, बल्कि हमारे सामने एक लक्ष्य है। इसे हासिल करने के लिए हमें गीता के संदेश को ध्यान में रखना होगा...जैसे अर्जुन अपने लक्ष्य पर केंद्रित था, हमें वही दृष्टि, वही दृढ़ संकल्प, वही एकाग्रता रखनी होगी।’’
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनके मन में कोई संदेह नहीं है कि विकसित भारत का लक्ष्य देश के लोगों के सामूहिक प्रयासों से 2047 तक या उससे भी पहले हासिल कर लिया जाएगा।
उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारत द्वारा की गई तेज प्रगति के बारे में चर्चा की और आशा जताई की देश, जो वर्तमान में विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, शीघ्र ही जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ देगा।
उपराष्ट्रपति ने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि देश और विदेश में कुछ ताकतें हैं, जो धन-बल के आधार पर और तंत्र का इस्तेमाल करके भारत और इसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं तथा इसकी संस्थाओं को पंगु बनाना चाहती हैं।
धनखड़ ने कहा, ‘‘उनकी कुत्सित मंशा, घातक उद्देश्य हमारी संवैधानिक संस्थाओं को कलंकित और कमजोर करना तथा हमारे विकास की गति को बाधित करना है। ऐसी ताकतों को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी संस्कृति कहती है कि ऐसे मौके आते हैं जब ऐसी ताकतों को कुचलना पड़ता है... और हम यह सब गीता से समझते हैं।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं यह संदेश देना चाहता हूं कि हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। राष्ट्र के प्रति इस प्रेम को मापने की कोई जरूरत नहीं है, यह शुद्ध होगा, यह 100 प्रतिशत होगा। हम हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखेंगे।’’
धनखड़ ने उपस्थित लोगों से कहा, ‘‘हमें याद रखना होगा कि हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है और हम ऐसे महान देश के नागरिक हैं, जैसा दुनिया में कोई दूसरा देश नहीं है, तो क्या हम अपनी भारत माता को चोट पहुंचाने देंगे?’’
केंद्र की मुफ्त राशन योजना प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का जिक्र करते हुए, जिसके तहत 80 करोड़ गरीब लोगों को लाभ मिलता है, उपराष्ट्रपति ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि यह ‘‘विकृत’’ सोच है कि सरकार ने मान लिया है कि देश में 80 करोड़ लोग गरीब हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग अराजकता का कारण बनते हैं, वे केवल आलोचक हो सकते हैं, वे सकारात्मक तरीके से नहीं सोच सकते। मेरा उन्हें संदेश है कि उन्हें गीता का सार, गीता का संदेश समझना चाहिए।’’
इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद सहित अन्य उपस्थित थे।
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