विकसित देशों को आगे आकर विकासशील देशों को जलवायु कार्रवाई के लिए वित्तीय मदद देनी चाहिए: भूपेंद्र यादव
Bhupendra Yadav (IMG: FB)

नयी दिल्ली, 28 जून : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि ऐतिहासिक रूप से अधिकतम कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार विकसित देशों को आगे आकर जलवायु संकट से निपटने के लिए विकासशील देशों को वित्तीय मदद देने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. अजरबैजान के बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के केंद्र में जलवायु वित्तपोषण होगा जहां दुनिया ‘न्यू कलेक्टिव क्वांटिफाइड गोल’ (एनसीक्यूजी) पर सहमति की समयसीमा तय करेगी. यह लक्ष्य उस नई राशि से संबंधित है जो विकसित देशों को 2025 से हर साल विकासशील देशों की जलवायु कार्रवाई के समर्थन में देनी चाहिए.

यादव ने टाइम्स नेटवर्क द्वारा आयोजित ‘इंडिया क्लाइमेट समिट’ में कहा, ‘‘तापमान वृद्धि एक वैश्विक समस्या है. आईपीसीसी की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि से औसत वैश्विक तापमान बढ़ रहा है. देशों ने अपने राष्ट्रीय तौर पर निर्धारित योगदान तय किए हैं. भारत ने अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया है, चाहे यह नवीकरणीय या अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में हो या कार्बन उत्सर्जन में कटौती के संदर्भ में हो.’’ यह भी पढ़ें : दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के वसंत विहार में दीवार गिरी, तीन मजदूरों के फंसे होने की आशंका

उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमें विश्व में समान विकास की आवश्यकता है तो विकसित देशों को विकासशील देशों की मदद के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है. दुर्भाग्य से, ऐसा नहीं हो सका लेकिन ‘एनसीक्यूजी’ लक्ष्य बाकू में सीओपी29 का केंद्र बिंदु होगा. ऐतिहासिक रूप से अधिकतम कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार देशों को आगे आना चाहिए.’’