ताजा खबरें | केंद्रीय विद्यालय दाखिले में सांसदों को मिला विवेकाधीन कोटा समाप्त करने की उठी मांग

नयी दिल्ली, 25 मार्च भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में दाखिले के लिए सांसदों को मिले विवेकाधीन कोटे को समाप्त करने की मांग उठाई।

उच्च सदन में शून्य काल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए मोदी ने कहा कि इस कोटे ने सांसदों का ‘‘जीना हराम’’ कर दिया है, क्योंकि कोटा सिर्फ 10 छात्रों के दाखिले का होता है और सैंकड़ों की संख्या में लोग इसके लिए पहुंच जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के लिए प्रत्येक सांसदों को 10 विवेकाधीन कोटा है और इसके अतिरिक्त प्रत्येक विद्यालय के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का 17 कोटा है। मैं शिक्षा मंत्री से इसे समाप्त करने की मांग करता हूं।’’

उन्होंने कहा कि सांसदों के पास 7,880 छात्रों के दाखिले का कोटा है जबकि प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के पास करीब 29,000 कोटा है।

मोदी ने कहा, ‘‘यह विवेकाधीन कोटा प्रतिभा में पारदर्शिता के खिलाफ और बहुत अलोकतांत्रिक है।’’

उन्होंने कहा कि इसमें आरक्षण का भी कोई प्रावधान नहीं होता है और ऐसा करके आरक्षण के लाभार्थियों को हम इसके लाभ से वंचित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विवेकाधीन कोटे से दाखिले के कारण शिक्षकों पर भी अत्यधिक दबाव पड़ता है।

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने प्राथमिक स्कूलों की खस्ताहाल स्थिति और उनमें शिक्षकों के अभाव का मुद्दा उठाया और कहा कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों के होते हैं।

उन्होंने कहा कि इन स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों की संख्या बहुत कम है और जो हैं भी तो उन्हें अन्य चुनाव व अन्य प्रशासनिक कामों में लगा दिया जाता है।

उन्होंने मांग की कि सभी प्राथमिक स्कूलों में कम्प्यूटर की जानकारी रखने वाले कम से कम एक क्लर्क की नियुक्ति की जाए और उन्हें चुनाव संबंधी दायित्वों से मुक्त रखा जाए।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरुची शिवा ने यादव की मांग का समर्थन किया और कहा कि देश की भावी पीढ़ी को संवारने की जिम्मेदारी शिक्षकों के हाथ में होती हैं और उनके साथ जैसे बर्ताव होना चाहिए वह नहीं हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षकों से शिक्षक जैसा बर्ताव किया जाना चाहिए।’’

बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने कलाकारों की दयनीय स्थिति का मुद्दा उठाया और कहा कि उन्हें मिलने वाली पेंशन भी समय पर नहीं मिल रही है।

उन्होंने कहा कि पेंशन के लाभार्थी कलाकारों को अप्रैल 2021 के बाद से पेंशन नहीं मिली है और उनके राज्य ओड़िशा के कई ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें 2018 से पेंशन नहीं मिल रहा है।

उन्होंने केंद्र सरकार से समय पर पेंशन जारी करने और उन्हें मिलने वाली 4,000 रुपये प्रति माह की राशि को बढ़ाने की भी मांग की।

कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय मछुआरों की स्थिति का मुद्दा उठाया और सरकार से उन्हें वापस लाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि गुजरात के गिर-सोमनाथ इलाके का एक मुछआरा गलती से पाकिस्तान की सीमा में चला गया और उसे पाकिस्तान की जेल में बंद कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि तीन महीने की सजा पूरी करने के बाद भी उसे नहीं छोड़ा गया और बाद में उसकी वहां मौत हो गई और अभी तक उसका शव भी नहीं लाया जा सका है।

उन्होंने कहा, ‘‘शव लाने के लिए सरकार को जो जरूरत पड़े, वह कदम उठाने चाहिए। कूटनीति के जरिए या फिर लाल आंखे दिखाकर...बड़ा सीना है तो वह भी दिखाइए। जिंदा नहीं ला सकते तो कम से कम शव तो लेकर आइए।’’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वंदना चव्हाण ने पुणे में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बनाए जाने की मांग की जबकि मनोनीत सदस्य सोनल मानसिंह ने एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया और सरकार से इस पर रोक के लिए उचित कदम उठाने की मांग की।

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने बीमा कंपनियों द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए जाने वाले धोखाधड़ी का मामला उठाया और सरकार से उनके हितों की रक्षा की मांग की।

बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हो गए बच्चों का मुद्दा उठाया और कहा कि ऐसे बच्चों के संबंध में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग और केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों में बहुत अंतर है।

पीड़ित बच्चों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके, इसके लिए नियमों को आसान बनाया जाना चाहिए।

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