
तिरुवनंतपुरम, 13 फरवरी केरल के वन मंत्री ए. के. ससींद्रन ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य में वन्यजीवों पर हमलों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सिरो मालाबार गिरजाघर के दो बिशपों द्वारा उनके इस्तीफे की मांग ‘राजनीति’ से प्रेरित है और इसकी अपेक्षा उन्होंने उन लोगों से नहीं की थी जिनका वह बहुत सम्मान करते हैं।
उन्होंने थमारास्सेरी और कंजिराप्पल्ली बिशपों द्वारा लगाए गए आरोपों पर यह प्रतिक्रिया दी। दोनों बिशपों ने बुधवार को केरल में वन्यजीवों के हमलों के कारण बार-बार हो रही मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उनके इस्तीफे की मांग की थी।
इस मुद्दे पर वन विभाग के ‘निष्क्रिय दृष्टिकोण’ की आलोचना करते हुए बिशपों ने उनके इस्तीफे की मांग की थी और कहा था कि राज्य में उचित शासन नहीं है।
ससींद्रन ने कहा कि सभी आम लोगों को मंत्रियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने और उनकी आलोचना करने का अधिकार है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हालांकि, मैं बिशपों को आम लोगों से ऊपर मानता हूं और उनसे इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं करता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता था कि बिशप आम लोगों से कहीं ऊंचे स्तर पर हैं। मैं उम्मीद करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि यह बात उलटी न हो।’’
बुधवार को कंजिराप्पल्ली में भारतीय किसान आंदोलन (आईएनएफएएम) के राज्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए थमारास्सेरी बिशप मार रेमिगियोस इंचानानियिल ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में बार-बार हो रहे वन्यजीव हमलों से निपटने में राज्य सरकार की ‘निष्क्रियता’ की आलोचना की थी।
वन्य जीवों के हमले में लोग मारे जा रहे हैं।
उन्होंने वन विभाग की निष्क्रियता के लिए वन मंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की भी मांग की।
कंजिराप्पल्ली के बिशप मार जोस पुलिकल ने भी वन मंत्री पर निशाना साधा और पूछा कि जब जंगली जानवरों के हमलों में लोगों की जान जा रही है, तो राज्य सरकार और वन मंत्री क्या कर रहे हैं?
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