देश की खबरें | दिल्ली की हवा में सुधार, लेकिन अब भी ‘खराब’ श्रेणी में

नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर अनुकूल रफ्तार से हवा चलने के कारण दिल्ली की वायु गुणवत्ता में बुधवार को सुधार देखा गया, लेकिन यह ‘खराब श्रेणी’ में ही रही।

रात में हवाओं के शांत हो जाने पर प्रदूषक कणों के जमा होने से इसके ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंचने की संभावना है।

चौबीस घंटे का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार शाम चार बजे के 303 से सुधरकर बुधवार को 271 रहा। सोमवार को दिवाली के दिन शाम चार बजे यह 312 था।

वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज करने वाले निगरानी केंद्रों में आनंद विहार (358), वजीरपुर (318), विवेक विहार (316) और जहांगीरपुरी (320) शामिल थे।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के समीपवर्ती शहरों-- गाजियाबाद (273), नोएडा (262), ग्रेटर नोएडा (243), गुरुग्राम (244) और फरीदाबाद (246) में हवा की गुणवत्ता ‘‘खराब’’ श्रेणी में दर्ज की गई।

उल्लेखनीय है कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ तथा 401 और 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।

बुधवार सुबह को दिल्ली के ‘‘पार्टिकुलेट मैटर’’ (पीएम) 2.5 का प्रदूषण स्तर राष्ट्रीय मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से तीन से चार गुना अधिक था।

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, अगले छह दिनों में हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहने का पूर्वानुमान है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने बुधवार शाम को पंजाब में पराली जलाने की 1,238, हरियाणा में 123 और उत्तर प्रदेश में 23 घटनाओं की सूचना दी। दिल्ली के (पीएम) 2.5 प्रदूषण स्तर में पराली के कारण पैदा होने वाला धुआं अधिक होने की संभावना है।

राजधानी में दिवाली की रात पटाखों पर लगाए प्रतिबंध का कई निवासियों द्वारा उल्लंघन किए जाने के बाद राजधानी में मंगलवार को वायु गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब’’ दर्ज की गई थी, लेकिन अगले दिन प्रदूषण का स्तर 2015 के बाद से सबसे कम रहा। ऐसा गर्मी और हवाएं चलने के कारण हुआ, जिसने प्रदूषण के प्रभाव को कम कर दिया।

पिछले दो वर्षों में, नवंबर में दिवाली के बाद दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में देखी गई थी। इस महीने के दौरान पराली जलाने की घटनाएं भी जोर पकड़ती हैं जिससे क्षेत्र में घनी धुंध छाई रहती है, जबकि कम तापमान प्रदूषकों को छंटने से रोकता है।

चूंकि इस साल दिवाली मौसम की शुरुआत में मनाई गई, इसलिए अपेक्षाकृत गर्मी रहने और हवाएं चलने के कारण प्रदूषण कम रहा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, मंगलवार को शाम चार बजे 24 घंटे का औसत एक्यूआई 303 था, जो 2015 के बाद से दिवाली के बाद के दिन के लिए सबसे कम था।

दिवाली के अगले दिन दिल्ली का एक्यूआई 2015 में (360), 2016 में (445), 2017 में (403), 2018 में (390), 2019 में (368), 2020 में (435) और 2021 में (462) दर्ज किया गया था।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार, राजधानी में पिछले साल की तुलना में इस साल दिवाली के दौरान पीएम 2.5 के स्तर में 64 प्रतिशत की कमी और पीएम10 के स्तर में 57 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने इस बार अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता को पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी, बेहतर मौसम संबंधी स्थितियों और ‘‘कम पटाखे फोड़ने’’ को जिम्मेदार ठहराया।

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