नयी दिल्ली, 23 दिसंबर दिल्ली की एक अदालत ने 2015 के डकैती एवं हत्या के एक मामले में तीन लोगों को दोषी करार देते हुए कहा कि फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा जब्त सीसीटीवी फुटेज में आरोपी स्पष्ट रूप से अपराध करते हुए दिखाई दे रहे हैं और उनकी पहचान को लेकर जरा भी संदेह नहीं है।
अदालत ने कहा कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि गोली लगने के कारण बहुत अधिक खून बह जाने पर भी पीड़ित को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का कोई प्रयास नहीं किया गया। बाद में अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विक्रम, पंजाबी बाग पुलिस थाने में छह आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई कर रहे थे।
मामले में दो आरोपी फरार हैं, जबकि अदालत ने एक आरोपी को बरी कर दिया।
अतिरिक्त लोक अभियोजक विनीत दहिया ने बताया कि आरोपियों ने नौ जनवरी 2015 को मोबाइल कनेक्शन सेवाओं के वितरक निखिल अग्रवाल के पीतमपुरा कार्यालय में डाका डालने के बाद उसे गोली मार दी थी।
न्यायाधीश ने चार दिसंबर को अपने फैसले में कहा, "मेरा मानना है कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी आदिल खान, शहजाद और अमित कुमार के खिलाफ सभी आरोप साबित कर दिए हैं। इसलिए इन आरोपियों को सभी आरोपों में दोषी ठहराया जाता है।"
अदालत ने कहा कि अपराध की घटना कार्यालय के सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई थी और फुटेज की गुणवत्ता इतनी स्पष्ट थी कि आरोपी की पहचान के बारे में जरा भी संदेह नहीं है।
अदालत ने सीसीटीवी फुटेज का हवाला देते हुए कहा, ‘‘दुर्भाग्य से किसी ने भी पीड़ित को तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल में ले जाने या रक्त प्रवाह को रोकने का कोई त्वरित प्रयास नहीं किया। पीड़त को वहां से तब उठाया गया जब उसका अधिकांश रक्त बह चुका था। यद्यपि चोट की प्रकृति को देखते हुए तत्काल अस्पताल पहुंचाने से भी पीड़ित को बचा पाना मुश्किल लग रहा था, लेकिन प्रयास तक नहीं किया गया।"
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