नयी दिल्ली, 18 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2020 के दंगों के पीछे कथित साजिश से जुड़े गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) मामले में खालिद सैफी और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं की सुनवाई शुक्रवार को 21 नवंबर तक टाल दी।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि विशेष पीठ होने के नाते यह नियमित आधार पर एकत्रित नहीं होती है और इसलिए उसे यह फैसला करना होगा कि क्या इन जमानत याचिकाओं पर वह सुनवाई कर सकती है या ऐसे मामलों को नामित पीठ को भेजा जाए।
पीठ ने कहा, ‘‘हम उन सभी को सोमवार अपराह्न 2:15 बजे के लिए सूचीबद्ध कर रहे हैं। हमें इस पर निर्णय लेना होगा। इसमें ज्यादा समय लगने की संभावना है। हमें फैसला करना होगा कि क्या हम भोजनावकाश के बाद के सत्र में हर दिन कुछ समय दे सकते हैं।’’
यह देखा गया है कि इससे पहले मामलों की सुनवाई नहीं की गई थी और केवल सह-आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका के साथ इन्हें सम्बद्ध किया गया था।
न्यायमूर्ति मृदुल ने कहा, “ऐसा लगता है कि हमने इनमें से कोई भी अपील नहीं सुनी है। बहस अभी शुरू होनी बाकी है। उन्हें सिर्फ साथ में नत्थी किया गया है।”
खालिद के अलावा, शिफा उर रहमान, सलीम खान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और सलीम मलिक की जमानत याचिकाएं अदालत के समक्ष सूचीबद्ध थीं।
कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को जमानत देने के मामले में निचली अदालत के आदेश को दिल्ली पुलिस द्वारा दी गयी चुनौती भी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थी।
‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी, शर्जिल इमाम, उमर खालिद और कई अन्य पर आतंकवाद-विरोधी कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
वर्ष 2020 के दंगे में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)