देश की खबरें | दिल्ली दंगे मामले में अदालत ने ताहिर हुसैन के खिलाफ भीड़ को उकसाने के आरोप तय करने का आदेश दिया

नयी दिल्ली, आठ अगस्त यहां की एक सत्र अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ दंगा, लूट और आगजनी सहित आरोप तय करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उन्होंने 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली सांप्रदायिक दंगों के दौरान भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया था।

अदालत ने मामले में तीन आरोपियों को बरी कर दिया, हालांकि, नौ अन्य के खिलाफ कई अपराधों के लिए आरोप तय करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ “प्रथम दृष्टया मामला” बनता था।

अदालत उन 13 लोगों के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थी जिन पर 24 फरवरी, 2020 को न्यू मुस्तफाबाद के मूंगा नगर इलाके में तीन दुकानों को लूटने और आग लगाने वाली दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने पांच अगस्त को पारित आदेश में कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 148 (दंगा, घातक हथियार से लैस), 149 (गैरकानूनी सभा), 188 (एक लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) 380 (आवासीय परिसर में चोरी) और 427 (शरारत करने और इस तरह 50 रुपये या उससे अधिक की राशि का नुकसान या क्षति करने के लिए सजा)के तहत अपराध के लिए नौ आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

नौ आरोपियों में शाह आलम, मोहम्मद शादाब, रियासत अली, गुलफाम, राशिद सैफी, मोहम्मद रिहान, मोहम्मद आबिद, अरशद कय्यूम और इरशाद अहमद हैं।

उन्होंने कहा, “पहली नजर में ताहिर हुसैन के खिलाफ भादंवि की धारा 148, 380, 427, 435, 436 और 450 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 109 (उकसाने की सजा) के तहत अपराध का मामला बनता है”।

अदालत ने हालांकि तीन आरोपियों, दीपक सिंह सैनी, महक सिंह और नवनीत को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष कोई भी “स्वीकार्य” सबूत रिकॉर्ड पर लाने में असमर्थ था जो यह स्थापित कर सके कि तीनों दंगाई भीड़ का हिस्सा थे।

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