नयी दिल्ली, 24 जून दिल्ली में भारी जाम और पर्यावरण में आ रही गिरावट के मद्देनजर अनुसंधानकर्ताओं ने अति सुलभ वहनीय बहुमॉडल परिवहन प्रणाली (एमएमटीएस)की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनका कहना है कि मेट्रो नेटवर्क अधिक सुगम्य होने पर लोग परिवहन के लिए इसे मुख्य साधन के तौर पर इस्तेमाल करना पसंद करेंगे।
अनुसंधानकर्ताओं ने ‘‘जीआईएस ऐंड ग्रैविटी मॉडल बेस्ड ऐक्सेसिबिलिटी मेजर फॉर दिल्ली मेट्रो’’शीर्षक से अध्ययन किया जिसे हाल में एक विदेशी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण का निर्माण पूरा होने पर विभिन्न इलाकों और मेट्रो स्टेशनों के बीच सफर करने के औसत समय में भी कमी आएगी।
अनुसंधानकर्ताओं ने तीन अलग-अलग स्तर पर अध्ययन किया जिनमें सुगम्यता, सुगम्यता की नीति और एमएमटीएस के साथ सुगम्यता के संबंध को आंका गया। एमएमटीएस दो या उससे अधिक परिवहन के साधनों के समन्वित इस्तेमाल की संभावना का शहरी इलाकों में सुरक्षित, तेज गति से और अधिक सुविधा के साथ यात्रा करने के लिए पता लगाता है।
अध्ययन में कहा गया है, ‘‘दिल्ली में जाम और पर्यावरण की स्थिति लगातार खराब हो रही है। इसमें सुधार के लिए इस तक पहुंच को अधिक आसान बनाने और एमएमटीएस की संभावना का पता लगाया जाना चाहिए।’’
इसमें कहा गया है कि बढ़ती आबादी और नजदीकी इलाकों से काम, शिक्षा और कारोबार के लिए दिल्ली आने वाले लोगों की वजह से शहर की सड़कों और पर्यावरण पर असर पड़ रहा है। इसे देखते हुए सुधार के लिए ऐसी नीति बनाने की जरूरत है जो सुगम्यता के ईर्द-गिर्द हो।
इस अनुसंधानपत्र को केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई), सीएसआईआर और एनआईटी सूरथकल के दो अनुसंधानकर्ताओं ने लिखा है।
इसमें इस नीति पर भी चर्चा की गई है कि मेट्रो नेटवर्क का विस्तार कर इसकी उपलब्धता पैदल पहुंचने की दूरी तक करने से इस तक लोगों की पहुंच में सुधार किया जा सकता है।
अनुसंधान पत्र में कहा गया है, ‘‘मेट्रो के जरिये सुगम्यता में सुधार से सड़कों पर भीड़ कम होगी और वायु तथा ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आएगी क्योंकि यात्री एमएमटीएस की इस प्रणाली को प्राथमिकता देंगे।’’
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