नयी दिल्ली, छह जनवरी दिल्ली पुलिस ने कोरोना वायरस के हालात के मद्देनजर उपहार साक्ष्य छेड़छाड़ मामले में अंसल बंधुओं की रिहाई को लेकर उच्च न्यायालय के समक्ष गंभीर आपत्ति जतायी।
साक्ष्यों से छेड़छाड़ मामले में सात साल जेल की सजा निलंबित किए जाने के अनुरोध वाली अंसल बंधुओं (सुशील अंसल और गोपाल अंसल) की याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कोविड-19 के हालात और याचिकाकर्ता की उम्र को ध्यान में रखते हुए अंतरिम रिहाई का सुझाव दिया। साथ ही निचली अदालत को सजा के खिलाफ उनकी अपील पर निर्णय लेने को कहा।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि महामारी की पिछली दो लहर के दौरान भी इस तरह के अपराध के दोषियों को जमानत पर रिहा किया गया था, जिस तरह के मामले में दोनों याचिकाकर्ता सजा काट रहे हैं।
अभियोजन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दयन कृष्णन ने कहा कि संबंधित प्राधिकरण द्वारा बंदियों की रिहाई संबंधी कोई नीति बनाए जाने पर याचिकाकर्ताओं को भी इसका लाभ मिलेगा। साथ ही आश्वासन दिया कि जेल के डॉक्टर याचिकाकर्ताओं की हरसंभव देखभाल कर रहे हैं।
वकील ने कहा, '' चाहे दूसरी लहर हो तीसरी लहर, ये असल में एक खास व्यक्ति के बारे में नहीं बल्कि नीतिगत निर्णय है। दोषी करार दिया गया व्यक्ति, अन्य लोगों से बेहतर नहीं हो सकता। जब कोई नीति (कोविड-19 के चलते रिहाई पर)होगी, उसका लाभ इन्हें भी मिलेगा।''
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी के लिए सूचीबद्ध की।
यहां की एक सत्र अदालत ने तीन दिसंबर को एक मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ मामले में दोषसिद्धि और जेल की सजा को निलंबित करने की अंसल बंधुओं की याचिका को खारिज कर दिया था और उन्हें जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया था।
इसके बाद अंसल बंधुओं ने उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने मामले में दिल्ली पुलिस और उपहार त्रासदी पीड़ितों के संघ से जवाब मांगा था।
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