नयी दिल्ली, 14 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) विधायक अमानतुल्ला खान के अध्यक्ष रहने के दौरान वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं से उत्पन्न धन शोधन मामले में सह-आरोपी को जमानत दे दी है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने मामले में जावेद इमाम सिद्दीकी को राहत प्रदान करते हुए कहा कि वह 11 नवंबर, 2023 से हिरासत में हैं और मुकदमा “दस्तावेजों की आपूर्ति के चरण में अटका हुआ है”।
बुधवार को अपने फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि मामले में कई आरोपी हैं, हजारों पन्नों के साक्ष्य हैं और बड़ी संख्या में गवाहों से पूछताछ की जानी है, इसलिए निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की उम्मीद नहीं है और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 को कारावास के साधन के रूप में प्रयोग करके अभियुक्तों को हिरासत में रखना स्वीकार्य नहीं है।
धारा 45 पीएमएलए मामलों में जमानत देने पर कुछ प्रतिबंध लगाती है।
अदालत ने कहा, “तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता पर विचार करते हुए, यह तथ्य कि मुख्य आरोपी जमानत पर बाहर है, हिरासत की अवधि, मुख्य आरोपी के खिलाफ पूरक चालान दायर किए जाने की संभावना और यह कि मुकदमा धारा 207 सीआरपीसी के तहत दस्तावेजों की आपूर्ति के चरण में अटका हुआ है, ऊपर चर्चा किए गए उच्चतम न्यायालय के निर्णयों की श्रृंखला को ध्यान में रखते हुए, यह निर्देश दिया जाता है कि आवेदक को नियमित जमानत पर रिहा किया जाए।”
अदालत ने आरोपी को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत देने को कहा है। साथ ही, बिना पूर्व अनुमति के दिल्ली/एनसीआर नहीं छोड़ने जैसी शर्तें भी लगाई हैं।
खान के खिलाफ धन शोधन का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी और दिल्ली पुलिस की तीन शिकायतों से उत्पन्न हुआ है।
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