देश की खबरें | वृक्षारोपण के लिए भूमि की कमी को दूर करने के लिए पैनल का गठन करेगी दिल्ली सरकार: पर्यावरण मंत्री राय

नयी दिल्ली, 13 मई दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को कहा कि शहर की सरकार नौ सदस्यीय समिति का गठन करेगी, जो राष्ट्रीय राजधानी में वृक्षारोपण के लिए जमीन की कमी की समस्या से निपटने के लिए विकल्पों का सुझाव देगी।

मंत्री ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उस अनुरोध को खारिज करते हुए यह घोषणा की, जिसमें प्रतिपूरक वृक्षारोपण योजना के तहत लगाए जाने वाले पेड़ों की संख्या संबंधी दिशानिर्देशों को संशोधित करके काटे जाने वाले हर पेड़ के बदले 10 पौधों के बजाय दो पौधे लगाए जाने को अनिवार्य बनाने की बात की गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘डीडीए ने दिल्ली वन विभाग को पत्र लिखा कि उनके पास अनिवार्य वृक्षारोपण के लिए भूमि नहीं है। उन्होंने हमने दिशा-निर्देशों में बदलाव करने को कहा है। हम दिल्ली में पर्यावरण की स्थिति को देखते हुए इस अनुरोध को खारिज कर रहे हैं।’’

राय ने कहा कि इसके बजाय, सरकार डीडीए से यह सूचित करने को कहेगी कि राजधानी में वृक्षारोपण के लिए कितनी जमीन उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वृक्षारोपण के लिए भूमि की कमी से निपटने के विकल्प सुझाने के लिए नौ सदस्यीय ‘‘हरित कवर विकास समिति’’ गठित करने का भी फैसला किया है।

पैनल में लोक निर्माण विभाग, डीडीए, वन विभाग, नगर निगम, योजना एवं वास्तुकला विद्यालय, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, दिल्ली शहरी कला आयोग और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान- पूसा के सदस्य होंगे।

राय ने कहा कि सरकार देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (एफआरई) से दिल्ली में वृक्षारोपण संबंधी लेखापरीक्षा करने के लिए भी कहेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो से तीन वर्ष में, 27 एजेंसी और विभागों को उनके विकास कार्यों के लिए पेड़ लगाने की अनुमति दी गई है। उनमें से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम, राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली जल बोर्ड, लोक निर्माण विभाग, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, रेल भूमि विकास प्राधिकरण और दिल्ली नगर निगम प्रमुख हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें वृक्षारोपण संबंधी संख्या, उनके स्थान और उनके बचने की दर के बारे में 13 मई तक रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना-वार वृक्षों के बचने की दर 55 प्रतिशत तक है। बहरहाल, कुछ एजेंसियों ने खराब प्रदर्शन किया है।’’

मंत्री ने कहा कि एफआरआई की लेखा परीक्षा रिपोर्ट के आधार पर सरकार खराब प्रदर्शन करने वाली एजेंसी और विभागों को काली सूची में डाल देगी और निर्माण कार्य के लिए उन्हें दी गई अनुमति की समीक्षा करेगी।

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