नयी दिल्ली, 23 मई राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य के खिलाफ 2019 में सार्वजनिक संपत्ति को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने के मामले में फोरेंसिक विशेषज्ञ से राय मांगी है।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल को दिल्ली पुलिस द्वारा मामले में दर्ज प्राथमिकी के बारे में सूचित किए जाने पर, एफएसएल निदेशक को छह जून के लिए नोटिस जारी किया गया।
न्यायाधीश ने यह आदेश तब पारित किया जब उन्हें बताया गया कि मामले में एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है, जिसके अनुसार सीडी को विशेषज्ञ की राय के लिए एफएसएल को भेज दिया गया है और उसके नतीजे की प्रतीक्षा है। स्थिति रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करा दी गई है। संबंधित थानाधिकारी के माध्यम से एफएसएल के निदेशक को नोटिस जारी कर अनुरोध किया जाता है कि वह वर्तमान मामले में नतीजे शीघ्र बताएं और इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल करें। आगे की कार्यवाही के लिए नौ जून, 2025 की तारीख तय की जाती है।’’
न्यायाधीश ने 11 मार्च को पुलिस को एक शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था, जिसमें संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।
केजरीवाल के अलावा, अदालत ने पूर्व विधायक गुलाब सिंह और द्वारका की तत्कालीन पार्षद नितिका शर्मा के खिलाफ भी ‘बड़े आकार’ के बैनर लगाने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।
मामले में 2019 में दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि केजरीवाल, मटियाला से तत्कालीन विधायक गुलाब सिंह (आम आदमी पार्टी) और द्वारका ए वार्ड की तत्कालीन पार्षद नितिका शर्मा ने क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर ‘‘बड़े आकार के होर्डिंग्स लगाकर जानबूझकर सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया’’।
केजरीवाल और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की शिकायत को सितंबर 2022 में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद 21 जनवरी को एक सत्र अदालत ने मजिस्ट्रेट को मामले पर नए सिरे से फैसला करने का निर्देश दिया था।
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