नयी दिल्ली, एक जनवरी दिल्ली की एक अदालत ने छह आरोपियों को डकैती और इनमें सें पांच को देश में अवैध रूप से रहने के मामले में बरी कर दिया। अदालत ने टिप्पणी की कि देश की मौजूदा परिस्थिति में ‘‘संदिग्ध अपराधियों’’ पर ‘‘नागरिकता से जुड़े आरोप’’ लगाना विदेशी अधिनियम का ‘‘दुरुपयोग’’ होगा।
अदालत ने कहा कि पुलिस नागरिकता से जुड़े दस्तावेजों को एकत्र में करने में उदासीन रही। इसने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या आरोपी की अलग धार्मिक या नस्ली पहचान होने पर विदेशी अधिनियम के प्रावधान लगाए जा सकते हैं।
यह छह आरोपियों पर डकैती की तैयारी करने के लिए उक्त घटना के वास्ते एकत्र होने के आरोप पर सुनवाई कर रही थी। इन आरोपियों पर यह भी आरोप था कि सूचना मिलने पर उन्हें पकड़ने पहुंची पुलिस के काम को उन्होंने बाधित किया और हमला भी किया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार घटना दिल्ली के गीता कॉलोनी स्थित पार्क की है जो 29 अक्टूबर 2015 घटित हुई।
सभी आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा के तहत कार्रवाई की गई थी और दो पर शस्त्र अधिनियम की धाराएं लगाई गई थीं। पांच आरोपियों के खिलाफ विदेशी अधिनियम की धारा- 14 के तहत मामला दर्ज किया गया था और उनके बांग्लादेशी होने तथा अवैध तरीके से भारत में रहने का शक जताया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाना गोगने ने हालिया आदेश में कहा, ‘‘चूंकि अभियोजन पक्ष किसी तय आरोप की किसी धारा के तहत अपराध साबित करने में असफल रहा है, इसलिए सभी आरोपियों को बरी किया जाता है। आरोपियों को विदेशी अधिनियम की धारा-14 के तहत दर्ज मामले में भी बरी किया जाता है।’’
गौरतलब है कि गीता कॉलोनी थाना पुलिस ने अनुल हक, मिराज उर्फ ‘छोटा’, मोहम्मद बुरहान, मिर्जा उर्फ ‘लंबू’, मोहम्म्द सुहैल और सद्दाम के खिलाफ हत्या की कोशिश, सरकारी कर्मी को अपने कर्तव्य से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल प्रयोग सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।
सद्दाम और मिराज (लंबू) के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत और हक को छोड़ बाकी सभी पर विदेशी अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।
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