नयी दिल्ली, छह जनवरी दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक जिला फोरम के उस आदेश को बरकरार रखा है जिसमें एक कोचिंग संस्थान को पाठ्यक्रम की पढ़ाई बंद करने वाले एक छात्र को लगभग 60,000 रुपये का एक साल का शुल्क वापस करने का निर्देश दिया गया था।
आयोग, जिसमें इसकी अध्यक्ष संगीता ढींगरा सहगल और अन्य सदस्य शामिल हैं, जिला फोरम के 2014 के आदेश के खिलाफ ‘फिटजी’ लिमिटेड द्वारा अपने पदाधिकारी के माध्यम से दायर एक अपील पर सुनवाई कर रहा था।
जिला फोरम ने संस्थान को छात्र के पिता को पाठ्यक्रम के लिए एक साल का शुल्क लगभग 60,750 रुपये वापस करने का निर्देश दिया था।
जिला फोरम ने माना कि एफआईआईटीजेईई (फिटजी), जिसे दो साल के लिए अग्रिम शुल्क प्राप्त हुआ था, को शिकायतकर्ता के अनुरोध पर तुरंत एक साल के पाठ्यक्रम का शुल्क वापस करना चाहिए था।
इसने सेवाओं में कमी और शिकायतकर्ता के लिए परेशानी पैदा करने का जिम्मेदार ठहराते हुए संस्थान पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
फोरम के आदेश के खिलाफ ‘फिटजी’ ने राज्य आयोग का रुख किया था।
आयोग ने 19 दिसंबर के एक आदेश में उच्चतम न्यायालय के 2003 के फैसले का हवाला दिया था, जिसके अनुसार यदि किसी शैक्षणिक संस्थान ने छात्रों से पूरे पाठ्यक्रम का शुल्क पहले ही ले लिया है, तो वह केवल विशेष सेमेस्टर या वर्ष के शुल्क का उपयोग कर सकता है और शेष राशि को उस शुल्क के देय होने तक एक राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा कराना पड़ता है।
आदेश में कहा गया कि ‘फिटजी’ इस बात का कोई सबूत देने में विफल रहा कि उसने शीर्ष अदालत के निर्देशों का अनुपालन किया है।
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