नयी दिल्ली, एक अगस्त गुजरात के भरूच जिले के दाहेज में तीन जून को बॉयलर फटने से भीषण आग लगने और आठ कर्मचारियों की मौत होने के बाद विस्थापित हुए लोगों को मुआवजा देने के अपने आदेश की समीक्षा करने संबंधी याचिका को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने खारिज कर दिया है।
याचिका एक कंपनी द्वारा दायर की गई थी।
एनजीटी ने यशस्वी नारायण प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर आठ जून को 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था और विस्थापित हुए प्रत्येक व्यक्ति को 25,000 रुपये देने को कहा था।
एनजीटी ने कहा कि आदेश की समीक्षा करने की कंपनी की याचिका का कोई आधार नहीं है।
अधिकरण ने कहा कि आदेश केवल मीडिया की खबरों पर आधारित नहीं था बल्कि सभी पक्षों को सुनने के बाद दिया गया था।
पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता को अवसर दिए जाने के बाद दिए गए आदेश में उल्लिखित तथ्यों पर कोई विवाद नहीं था। यह गलत स्थापना दी गई कि आदेश केवल मीडिया की खबरों पर आधारित था। आदेश प्राथमिक तौर पर तथ्यों की जांच करने और याचिकाकर्ता को नोटिस दिए जाने के बाद दिया गया था।”
अधिकरण ने कहा कि घटना दिन में 12 बजे हुई थी और देर रात तक कम से कम 10 से 12 घंटे तक विस्थापन होता रहा।
एनजीटी ने कहा, “इस दौरान प्रभावित लोगों को तनाव, विस्थापन और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। यह कहना गलत है कि उन्हें मुआवजा नहीं मिलना चाहिए और ऐसे विस्थापन से शारीरिक या मानसिक तौर पर कोई नुकसान नहीं होता।”
अधिकरण ने कहा कि कंपनी द्वारा दायर की गई याचिका बेतुकी है।
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