Cyclone Nisarga: चक्रवात निसर्ग से महाराष्ट्र के रायगढ़ और पालघर जिले हुए प्रभावित

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. चक्रवात निसर्ग बुधवार को मुंबई के करीब तक पहुंचा, लेकिन कोविड-19 महामारी से जूझ रहे महानगर को इसने प्रभावित नहीं किया और शाम में यह कमजोर भी पड़ गया। हालांकि, इसके पड़ोस के रायगढ़ और पालघर जिले में तूफान के चलते पेड़ उखड़ गये।

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Cyclone Nisarga: चक्रवात निसर्ग से महाराष्ट्र के रायगढ़ और पालघर जिले हुए प्रभावित

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. चक्रवात निसर्ग बुधवार को मुंबई के करीब तक पहुंचा, लेकिन कोविड-19 महामारी से जूझ रहे महानगर को इसने प्रभावित नहीं किया और शाम में यह कमजोर भी पड़ गया। हालांकि, इसके पड़ोस के रायगढ़ और पालघर जिले में तूफान के चलते पेड़ उखड़ गये।

एजेंसी न्यूज Bhasha|
Cyclone Nisarga: चक्रवात निसर्ग से महाराष्ट्र के रायगढ़ और पालघर जिले हुए प्रभावित
चक्रवाती तूफान I प्रतीकात्मक तस्वीर (File Photo)

मुंबई, 4 जून: चक्रवात निसर्ग बुधवार को मुंबई के करीब तक पहुंचा, लेकिन कोविड-19 (Covid-19) महामारी से जूझ रहे महानगर को इसने प्रभावित नहीं किया और शाम में यह कमजोर भी पड़ गया. हालांकि, इसके पड़ोस के रायगढ़ और पालघर (Palghar) जिले में तूफान के चलते पेड़ उखड़ गये. महाराष्ट्र (Maharashtra) तट पर आज दोपहर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पहुंचने के बाद यह चक्रवात शाम में कमजोर पड़ गया. देर रात तक यह और कमजोर हो जाएगा. भारत मौसम विभाग ने नयी दिल्ली में यह जानकारी दी.

इस बीच, पुलिस ने बताया कि महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के उमात गांव में चक्रवात से बचने की कोशिश में अपने घर भागने के दौरान 58 वर्षीय एक व्यक्ति पर बिजली का एक ट्रांसफॉर्मर गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई. एक अधिकारी ने बताया कि चक्रवात से संबंधित दो अलग घटनाओं में पुणे जिले में दो लोगों की मौत हो गई.

यह भी पढ़ें: Cyclone Nisarga: महाराष्ट्र में चक्रवाती तूफान निसर्ग ने ली एक की जान, कई बड़े पेड़ जड़ समेत उखड़ गए

भारत मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चक्रवात ‘निसर्ग’ (Nisarga) बुधवार दोपहर महाराष्ट्र तट पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं के साथ पहुंचा. यह अरब सागर से आया और दोपहर करीब साढ़े बारह बजे रायगढ़ जिले में स्थित अलीबाग में इसने दस्तक देना शुरू किया. यह प्रक्रिया दोपहर ढाई बजे पूरी हुई. अधिकारी ने बताया कि चक्रवात के अगले छह घंटों में हवा के कम दबाव वाले क्षेत्र में तब्दील होने की उम्मीद है और फिलहाल यह महाराष्ट्र के पुणे के ऊपर मौजूद है.

गुजरात के तटीय जिलों सहित मुंबईवासियों और पड़ोसी इलाकों के लोगों ने चक्रवात का मुकाबला करने के लिये तैयारियां कर रखी थी, लेकिन प्रभावित इलाकों में नुकसान के रूप में पेड़ उखाड़े जाने तक तूफान के सीमित रहने के चलते लोगों ने राहत की सांस ली. निसर्ग के आने से पहले इसके मार्ग से हजारों लोगों को हटाया गया, उड़ानें रद्द कर दी गईं, मछुआरों को समुद्र से दूर रहने का आदेश दिया गया और बचावकर्मियों को तैयार रखा गया.

अमेरिका स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय के वायुमंडलीय विज्ञान के एक प्राध्यापक एडम सोएबेल ने ट्वीट किया कि मुंबई कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये पहले से संघर्ष कर रहा है और ऐसे में 72 वर्षों में पहली बार एक चक्रवात इस महानगर में आएगा. निसर्ग अरब सागर से आया और यह तटीय शहर अलीबाग पहुंचा.

अलीबाग मुंबई से करीब 110 किमी दूर स्थित एक छोटा शहर है, जहां कई किले और मंदिर हैं. वहां बॉलीवुड के कई कलाकार भी रहते हैं. चक्रवात अम्फान के पश्चिम बंगाल में तबाही मचाने के हफ्ते भर बाद निसर्ग तूफान आया है. विभाग ने कहा कि तूफान से कच्चे मकान, पेड़, बिजली के खंभे गिर सकते हैं.

हालांकि, तूफान के कमजोर पड़ जाने से यह स्पष्ट है कि अनुमान से काफी कम नुकसान हुआ है. मुंबई में 1948 में आये बड़े चक्रवात के दौरान इसके उपनगर विले पारले में रही पुणे की सुचेता नादकर्णी (81) ने कहा, ‘‘मुझे याद है कि उस चक्रवात में हमारे इलाके में बड़े पेड़ उखड़ गये थे और हमारे बगीचे के पौधे नष्ट हो गये थे’’ उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं उस वक्त 10 साल की थी.’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

एजेंसी न्यूज Bhasha|
Cyclone Nisarga: चक्रवात निसर्ग से महाराष्ट्र के रायगढ़ और पालघर जिले हुए प्रभावित
चक्रवाती तूफान I प्रतीकात्मक तस्वीर (File Photo)

मुंबई, 4 जून: चक्रवात निसर्ग बुधवार को मुंबई के करीब तक पहुंचा, लेकिन कोविड-19 (Covid-19) महामारी से जूझ रहे महानगर को इसने प्रभावित नहीं किया और शाम में यह कमजोर भी पड़ गया. हालांकि, इसके पड़ोस के रायगढ़ और पालघर (Palghar) जिले में तूफान के चलते पेड़ उखड़ गये. महाराष्ट्र (Maharashtra) तट पर आज दोपहर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पहुंचने के बाद यह चक्रवात शाम में कमजोर पड़ गया. देर रात तक यह और कमजोर हो जाएगा. भारत मौसम विभाग ने नयी दिल्ली में यह जानकारी दी.

इस बीच, पुलिस ने बताया कि महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के उमात गांव में चक्रवात से बचने की कोशिश में अपने घर भागने के दौरान 58 वर्षीय एक व्यक्ति पर बिजली का एक ट्रांसफॉर्मर गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई. एक अधिकारी ने बताया कि चक्रवात से संबंधित दो अलग घटनाओं में पुणे जिले में दो लोगों की मौत हो गई.

यह भी पढ़ें: Cyclone Nisarga: महाराष्ट्र में चक्रवाती तूफान निसर्ग ने ली एक की जान, कई बड़े पेड़ जड़ समेत उखड़ गए

भारत मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चक्रवात ‘निसर्ग’ (Nisarga) बुधवार दोपहर महाराष्ट्र तट पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं के साथ पहुंचा. यह अरब सागर से आया और दोपहर करीब साढ़े बारह बजे रायगढ़ जिले में स्थित अलीबाग में इसने दस्तक देना शुरू किया. यह प्रक्रिया दोपहर ढाई बजे पूरी हुई. अधिकारी ने बताया कि चक्रवात के अगले छह घंटों में हवा के कम दबाव वाले क्षेत्र में तब्दील होने की उम्मीद है और फिलहाल यह महाराष्ट्र के पुणे के ऊपर मौजूद है.

गुजरात के तटीय जिलों सहित मुंबईवासियों और पड़ोसी इलाकों के लोगों ने चक्रवात का मुकाबला करने के लिये तैयारियां कर रखी थी, लेकिन प्रभावित इलाकों में नुकसान के रूप में पेड़ उखाड़े जाने तक तूफान के सीमित रहने के चलते लोगों ने राहत की सांस ली. निसर्ग के आने से पहले इसके मार्ग से हजारों लोगों को हटाया गया, उड़ानें रद्द कर दी गईं, मछुआरों को समुद्र से दूर रहने का आदेश दिया गया और बचावकर्मियों को तैयार रखा गया.

अमेरिका स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय के वायुमंडलीय विज्ञान के एक प्राध्यापक एडम सोएबेल ने ट्वीट किया कि मुंबई कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये पहले से संघर्ष कर रहा है और ऐसे में 72 वर्षों में पहली बार एक चक्रवात इस महानगर में आएगा. निसर्ग अरब सागर से आया और यह तटीय शहर अलीबाग पहुंचा.

अलीबाग मुंबई से करीब 110 किमी दूर स्थित एक छोटा शहर है, जहां कई किले और मंदिर हैं. वहां बॉलीवुड के कई कलाकार भी रहते हैं. चक्रवात अम्फान के पश्चिम बंगाल में तबाही मचाने के हफ्ते भर बाद निसर्ग तूफान आया है. विभाग ने कहा कि तूफान से कच्चे मकान, पेड़, बिजली के खंभे गिर सकते हैं.

हालांकि, तूफान के कमजोर पड़ जाने से यह स्पष्ट है कि अनुमान से काफी कम नुकसान हुआ है. मुंबई में 1948 में आये बड़े चक्रवात के दौरान इसके उपनगर विले पारले में रही पुणे की सुचेता नादकर्णी (81) ने कहा, ‘‘मुझे याद है कि उस चक्रवात में हमारे इलाके में बड़े पेड़ उखड़ गये थे और हमारे बगीचे के पौधे नष्ट हो गये थे’’ उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं उस वक्त 10 साल की थी.’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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