देश की खबरें | साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिए हर जिले में एक दिसंबर से साइबर थाने खुलेंगे: अस्थाना

नयी दिल्ली, 24 नवंबर साइबर अपराध के बढ़ते मामलों पर नकेल कसने के लिए दिल्ली पुलिस एक दिसंबर से हर जिले में एक साइबर थाना खोलने जा रही है । दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने बुधवार को कहा कि इस बाबत करीब सात हजार कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है ।

अस्थाना ने कहा, “हम हर जिले में एक दिसंबर से साइबर अपराध थाने शुरू करने जा रहे हैं। इसके लिए करीब सात हजार पुलिस कर्मियों को इन मामलों की जांच के लिए प्रशिक्षित किया गया है। हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि साइबर अपराध के मामले जल्दी दर्ज हों और तेज़ी से उनकी जांच हो।”

उन्होंने कहा, “ लोग साइबर अपराध से ज्यादा इसलिए प्रभावित होते हैं, क्योंकि यह सीमा रहित अपराध है। लोग विदेश में या देश के किसी भी हिस्से में बैठकर इस अपराध को अंजाम देते हैं। इसके लिए इसी के स्तर की प्रौद्योगिकी, कार्यबल और प्रशिक्षण दिया जा रहा है।”

पुलिस आयुक्त ने बताया कि साइबर अपराध की सूचना देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में 155260 हेल्पलाइन है और “हम कोशिश कर रहे हैं कि इस नंबर को 112 से जोड़ें।”

अस्थाना ने यहां ‘इंडियन वूमेंस प्रेस कोर’ में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि पुलिस बल, शहर को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के वास्ते कई कदम उठा रहा है और अपराधों की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में कर्मियों की अधिक तैनाती की जाएगी।

पिछले साल दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के संदर्भ में पुलिस पर पक्षपातपूर्ण रवैया अख्तियार करने के आरोपों के बाबत पूछे गए सवाल पर पुलिस आयुक्त ने कहा, “दिल्ली पुलिस पेशेवर पुलिस बल है और यह पक्षपातपूर्ण नहीं हो सकती है और जो भी हम जांच करते हैं, उसका मूल्यांकन अदालत करती है।”

दिल्ली दंगों के मामले में कई कार्यकर्ताओं को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। इससे संबंधित एक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस को खरी खोटी सुनाई थी। इस बाबत किए गए सवाल पर अस्थाना ने कहा, “हम पेशेवर हैं और (यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने को लेकर) अदालत की जो टिप्पणियां हैं, उनमें से कुछ को चुनौती दी गई हैं और वे विचाराधीन हैं। कुछ मामलों को हमने देखा है और इसमें पक्षपातपूर्ण जैसा कुछ नहीं है। हम पेशेवर बल हैं और अगर सबूत होते हैं तो ही मामला दर्ज करते हैं और आरोप पत्र दायर करते हैं।”

संसद सत्र के दौरान किसान संगठनों की ओर से प्रदर्शन करने की घोषणा पर पुलिस आयुक्त ने कहा, “ जहां तक लोकतांत्रिक प्रदर्शनों की बात है तो यह होंगे लेकिन हमारी जिम्मेदारी कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने की है। (किसान संगठनों के साथ) एक सहमति है और हम उस पर काम करेंगे तथा किसी को कानून एवं व्यवस्था को बाधित नहीं करने दिया जाएगा।”

महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में पूछे गए एक अन्य सवाल पर अस्थाना ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठा रहे हैं कि शहर महिलाओं के लिए सुरक्षित बनें। महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए हम सामुदायिक पुलिसिंग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हम एकीकृत सहायता बूथ बना रहे हैं जहां पुलिस के अलावा यातायात पुलिस के कर्मी भी होंगे। इसमें ज्यादातर सुनसान इलाके हैं। जहां अपराध ज्यादा होते हैं, वहां पर पुलिस की ज्यादा तैनाती रहेगी।”

महिलाओं के खिलाफ अपराधों के संबंध में उन्होंने यह भी बताया कि इस साल बलात्कार के 413 मामले आए हैं जिनमें से ज्यादातर मामलों में जानकार या रिश्तेदार ही आरोपी हैं।

साथ ही उन्होंने कहा, “दिल्ली पुलिस में 2025 तक महिला कर्मियों की भागीदारी 25 फीसदी हो जाएगी। हम इस पर काम कर रहे हैं। फिलहाल यह करीब 13 फीसदी है।

एक अन्य सवाल के जवाब में पुलिस आयुक्त ने कहा कि बल को सोशल मीडिया से काफी सहयोग मिलता है और उसकी मदद से पुलिस ने कई मामलों को सुलझाया है।

अस्थाना ने कहा कि दिल्ली पुलिस में कई पहल की शुरू की गई हैं, जिनमें पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) कर्मियों को स्थानीय थानों के साथ मिलाना शामिल है।

उनके मुताबिक, इसके बाद किसी कॉल पर पुलिस की ओर से दी जाने वाली प्रतिक्रिया का वक्त घटकर करीब तीन मिनट हो गया है जो पहले करीब सात मिनट था।

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