नयी दिल्ली, 10 दिसंबर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि मानवाधिकारों पर अब तक का विमर्श मानव पर केंद्रित रहा है जिसके तहत उल्लंघनकर्ता किसी व्यक्ति को माना जाता है, लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के हमारे दैनिक जीवन में प्रवेश करने से अब अपराधी कोई गैर-मानव या ‘‘कोई लक्ष्य केंद्रित सॉफ्टवेयर’’ हो सकता है।
मानवाधिकार दिवस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि साइबर अपराध एवं जलवायु परिवर्तन मानवाधिकारों के लिए ‘‘नये खतरे’’ हैं।
मानवाधिकार दिवस हर वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिसे 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया और घोषित किया गया था।
यूडीएचआर मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक वैश्विक मानक के रूप में कार्य करता है।
भारत में संयुक्त राष्ट्र के राजनयिक मिशन के प्रमुख शोम्बी शार्प ने इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस का संदेश पढ़ा।
स्क्रीन पर दिखाये गए गुतारेस के संदेश में कहा गया, ‘‘मानवाधिकार दिवस पर, हम एक कठोर सच्चाई का सामना कर रहे हैं। मानवाधिकारों पर हमला हो रहा है। करोड़ों लोग गरीबी, भुखमरी, खराब स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणालियों में फंसे हुए हैं जो अभी तक कोविड-19 महामारी से पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं। वैश्विक असमानताएं बढ़ रही हैं। संघर्ष तेज हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है।’’
संदेश में कहा गया है कि घृणास्पद बयानबाजी भेदभाव, विभाजन और हिंसा को बढ़ावा दे रही है।
मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘यह उन संस्थाओं को याद करने का दिन है जो समाज के सबसे कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने का प्रयास करती हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग, विभिन्न अन्य संस्थाएं, न्यायपालिका और अन्य प्रमुख हितधारकों ने बेजुबानों की आवाज बनने के लिए अथक प्रयास किया है। मैं सभी के लिए मानवाधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता और अथक परिश्रम के लिए उनकी सराहना करती हूं।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत आज एक ‘‘उज्ज्वल उदाहरण’’ बन गया है, जहां गरीबी उन्मूलन, वंचितों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराकर भूख मिटाने तथा युवाओं को अपने सपने साकार करने के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए ‘‘सरकार द्वारा पहल की जा रही है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि भविष्य की ओर बढ़ने के साथ ही ‘‘हमें उभरती चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। मानवाधिकारों के लिए साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन नये खतरे हैं।’’
उन्होंने कहा कि डिजिटल युग परिवर्तनकारी होते हुए भी अपने साथ साइबर धमकी, डीपफेक, गोपनीयता संबंधी चिंताएं और गलत सूचना के प्रसार जैसे जटिल मुद्दे लेकर आया है। ये चुनौतियां एक सुरक्षित, संरक्षित और न्यायसंगत डिजिटल माहौल को बढ़ावा देने का महत्व रेखांकित करती हैं ताकि प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों और सम्मान की रक्षा हो सके।
मुर्मू ने अपने संबोधन में एआई और मानव जीवन पर इसके प्रभाव पर भी चर्चा की।
मुर्मू ने कहा, ‘‘एआई अब हमारे दैनिक जीवन में प्रवेश कर चुका है, कई समस्याओं का समाधान कर रहा है और कई नयी समस्याएं भी पैदा कर रहा है।’’
उनहोंने कहा कि मानवाधिकारों पर अब तक का विमर्श मानव पर केंद्रित रहा है जिसके तहत उल्लंघनकर्ता किसी व्यक्ति को माना जाता है, लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के हमारे जीवन में प्रवेश करने से अब अपराधी कोई गैर-मानव या ‘‘कोई लक्ष्य केंद्रित सॉफ्टवेयर’ हो सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं यह विषय आपके विचारार्थ छोड़ती हूं।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मामला भी हमें वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों की सोच पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करता है।
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