तिरुवनंतपुरम, 23 दिसंबर केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता, कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी एवं वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी की लोकसभा में जीत को लेकर पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य ए. विजयराघवन की विवादास्पद टिप्पणी के कारण राजनीतिक विवाद बढ़ने पर सोमवार को उनके समर्थन में उतरे।
वायनाड में हाल में पार्टी के एक कार्यक्रम के दौरान विजयराघवन ने कथित रूप से दावा किया था कि राहुल गांधी ने सांप्रदायिक ताकतों के समर्थन से दो बार वायनाड में जीत दर्ज की और यही चरमपंथी तत्व प्रियंका गांधी की चुनाव प्रचार रैलियों में भी मौजूद थे।
प्रमुख मार्क्सवादी पार्टी नेताओं ने सोमवार को कहा कि विजयराघवन ने कुछ भी गलत या पार्टी की नीति के खिलाफ नहीं कहा है तथा वे अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता और बहुसंख्यक सांप्रदायिकता दोनों का समान रूप से विरोध करेंगे।
उन्होंने विजयराघवन द्वारा कांग्रेस के खिलाफ लगाए गए आरोपों को भी दोहराया और पार्टी पर चुनावी लाभ के लिए सांप्रदायिक संगठनों के साथ नापाक गठजोड़ करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस और उनके यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने आरोप लगाया कि विजयराघवन समाज में बहुसंख्यक सांप्रदायिकता को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं जिसके एक दिन बाद माकपा नेतृत्व पोलित ब्यूरो सदस्य के समर्थन में सामने आया।
जब मीडिया ने उनकी प्रतिक्रिया मांगी तो माकपा के राज्य सचिव एम. वी. गोविंदन ने कहा कि विजयराघवन ने जो कहा वह सही है और आरोप लगाया कि एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) और जमात-ए-इस्लामी जैसे सांप्रदायिक संगठन यूडीएफ के अग्रणी साझेदार की तरह काम कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि पलक्कड़ विधानसभा उपचुनाव के दौरान उनकी सांठगांठ उजागर हो गई थी।
उन्होंने कहा कि जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ आलोचना मुस्लिम समुदाय की निंदा नहीं है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का विरोध हिंदुओं का विरोध करना नहीं है। उन्होंने कहा कि माकपा अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक सांप्रदायिकता दोनों के प्रति विरोध जताने में कोई समझौता नहीं करेगी।
विजयराघवन का पुरजोर समर्थन करते हुए वरिष्ठ माकपा नेता और सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के संयोजक टी. पी. रामकृष्णन ने कहा कि पार्टी नेता ने कांग्रेस पार्टी के रुख की आलोचना की है, जो चुनावों के दौरान सांप्रदायिक ताकतों के साथ गठजोड़ बनाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘विजयराघवन ने कोई सांप्रदायिक रुख नहीं अपनाया है। उनकी टिप्पणी का उद्देश्य सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना भी नहीं था। उन्होंने ऐसा रुख अपनाया है जो समाज को सांप्रदायिक ताकतों से बचा सकता है।’’
वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री पी. के. श्रीमती ने भी कहा कि विजयराघवन ने मार्क्सवादी पार्टी की नीति और रुख से हटकर कुछ नहीं कहा है।
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