
नयी दिल्ली, 19 फरवरी राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या वह प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान विभिन्न स्थानों पर पानी में ‘फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया’ के उच्च स्तर पाए जाने के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के निष्कर्ष से असहमत है।
अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में सीवेज के बहाव को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी।
अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) गरिमा प्रसाद ने कहा कि सीपीसीबी ने उन्हें उन स्थानों के बारे में जानकारी नहीं दी जहां से पानी के नमूने लिए गए थे।
पीठ ने हालांकि उनसे पूछा कि क्या यूपीपीसीबी रिपोर्ट पर विवाद कर रहा है या उसे चुनौती दे रहा है और कहा कि नमूने लेने से पहले सीपीसीबी के लिए सूचना उपलब्ध कराना कोई वैधानिक आवश्यकता नहीं है।
प्रसाद ने पीठ को यह भी बताया कि यूपीपीसीबी ने 18 फरवरी को एक कार्रवाई रिपोर्ट दायर की थी, जिस पर पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में ‘फेकल कोलीफॉर्म’ के स्तर का उल्लेख नहीं किया गया था और रिपोर्ट 12 जनवरी से पहले की तारीखों से संबंधित थी।
एएजी ने पीठ को आश्वासन दिया कि राज्य सुधारात्मक कदम उठा रहा है और एक सप्ताह के भीतर नयी रिपोर्ट दाखिल कर दी जाएगी।
प्रसाद ने पीठ को यह भी बताया कि यूपीपीसीबी ने 18 फरवरी को एक कार्रवाई रिपोर्ट दायर की थी, जिस पर पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में ‘फेकल कोलीफॉर्म’ के स्तर का उल्लेख नहीं किया गया था और रिपोर्ट 12 जनवरी से पहले की तारीखों से संबंधित थी।
एएजी ने पीठ को आश्वासन दिया कि राज्य सुधारात्मक कदम उठा रहा है और एक सप्ताह के भीतर नयी रिपोर्ट दाखिल कर दी जाएगी।
अधिवक्ता सौरभ तिवारी इस मामले में याचिकाकर्ता के रूप में पेश हुए।
सीपीसीबी ने पहले एनजीटी को सूचित किया था कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में विभिन्न स्थानों पर ‘फेकल कोलीफॉर्म’ का स्तर स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं था।
सीपीसीबी के अनुसार ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने नदी में पवित्र स्नान किया जिसके कारण ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की मात्रा में वृद्धि हुई।
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